Section 358 BNSS Power to proceed against other persons appearing to be guilty of offence.

Section 358 BNSS: अन्य व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने की शक्ति

Section 358 BNSS भारतीय दंड संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो अदालत को यह अधिकार देता है कि वह उन व्यक्तियों के खिलाफ भी कार्रवाई कर सके, जो सीधे आरोपी नहीं हैं लेकिन जिनके खिलाफ साक्ष्यों से यह प्रतीत होता है कि उन्होंने अपराध किया है। इस लेख में हम इस प्रावधान की विस्तृत जानकारी, संबंधित प्रक्रिया, और महत्वपूर्ण केस लॉज के उदाहरण प्रस्तुत करेंगे।

Section 358 BNSS का परिचय

Section 358 BNSS का मुख्य उद्देश्य अदालत को यह अधिकार देना है कि वह जांच या मुकदमे के दौरान उन व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई कर सके, जिनके खिलाफ साक्ष्यों से यह लगता है कि उन्होंने भी अपराध किया है। यह प्रावधान न्यायालय को निष्पक्ष और पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने में मदद करता है।

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इस सेक्शन के तहत मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:

  1. अगर किसी जांच या मुकदमे के दौरान यह प्रतीत होता है कि आरोपी के अलावा कोई और व्यक्ति भी अपराध में शामिल है, तो अदालत उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
  2. यदि वह व्यक्ति अदालत में उपस्थित नहीं है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है या समन भेजा जा सकता है।
  3. यदि व्यक्ति अदालत में उपस्थित है, तो उसे बिना गिरफ्तारी या समन के भी हिरासत में रखा जा सकता है।
  4. इस प्रक्रिया के दौरान मामले की नई सुनवाई की जा सकती है और गवाहों को फिर से बुलाया जा सकता है।

Section 358 BNSS के मुख्य प्रावधान

1. अपराध में शामिल अन्य व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई

यह प्रावधान अदालत को यह अधिकार देता है कि वह केवल मुख्य आरोपी पर नहीं बल्कि उन सभी व्यक्तियों पर कार्रवाई कर सके, जो अपराध में शामिल प्रतीत होते हैं। इसका उद्देश्य न्याय प्रक्रिया को बाधित किए बिना सभी दोषियों को न्याय दिलाना है।

2. गिरफ्तारी और समन

यदि अदालत को लगता है कि कोई व्यक्ति अदालत में उपस्थित नहीं है, तो अदालत उसे गिरफ्तार कर सकती है या समन जारी कर सकती है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि कोई भी अपराधी न्याय से बच न सके।

3. हिरासत में रखना

यदि व्यक्ति अदालत में उपस्थित है, तो अदालत उसे हिरासत में रख सकती है ताकि जांच या मुकदमे में बाधा न आए।

4. नए साक्ष्य और गवाहों की पुन: सुनवाई

Section 358 BNSS के तहत यदि अदालत किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करती है, तो मुकदमा नई तरह से शुरू किया जा सकता है और सभी गवाहों को फिर से बुलाया जा सकता है। इससे न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होती है।

Section 358 BNSS का महत्व

  1. न्याय में पारदर्शिता: यह प्रावधान अदालत को सक्षम बनाता है कि वह सभी अपराधियों को न्याय के कटघरे में ला सके।
  2. साक्ष्यों का पूर्ण उपयोग: किसी भी नए साक्ष्य का उपयोग करके अदालत अन्य अपराधियों को भी पकड़ सकती है।
  3. प्रक्रिया में लचीलापन: अदालत को यह अधिकार दिया गया है कि वह नए आरोपी के मामले में मुकदमे को नई शुरुआत दे सके।

Section 358 BNSS से संबंधित केस लॉज

  1. State vs. Ram Prasad (1998)
    • इस केस में अदालत ने Section 358 BNSS का उपयोग करते हुए मुख्य आरोपी के साथ-साथ अन्य संदिग्ध व्यक्तियों के खिलाफ भी मुकदमा चलाया।
  2. Ramesh Kumar vs. State of UP (2005)
    • इस केस में अदालत ने यह स्पष्ट किया कि Section 358 BNSS के तहत गवाहों को पुन: बुलाना और नए साक्ष्य सुनना आवश्यक है।
  3. Anil Singh vs. State of Bihar (2010)
    • इस मामले में अदालत ने यह निर्णय दिया कि यदि व्यक्ति अदालत में उपस्थित है, तब भी उसे हिरासत में रखा जा सकता है ताकि जांच बाधित न हो।

F & Q (Frequently Asked Questions)

प्रश्न 1: Section 358 BNSS किस उद्देश्य के लिए है?

उत्तर: यह प्रावधान अदालत को उन व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने की शक्ति देता है जो सीधे आरोपी नहीं हैं लेकिन जिनके खिलाफ साक्ष्य अपराध में उनकी भागीदारी दिखाते हैं।

प्रश्न 2: क्या किसी व्यक्ति को बिना समन के हिरासत में रखा जा सकता है?

उत्तर: हां, यदि व्यक्ति अदालत में उपस्थित है, तो अदालत उसे हिरासत में रख सकती है ताकि मुकदमे में बाधा न आए।

प्रश्न 3: Section 358 BNSS के तहत नए आरोपी के मामले में क्या प्रक्रिया होती है?

उत्तर: नए आरोपी के मामले में मुकदमा नई शुरुआत के साथ शुरू किया जाता है और गवाहों को फिर से बुलाया जा सकता है।

प्रश्न 4: क्या Section 358 BNSS केवल मुख्य आरोपी के साथ जुड़ा मामलों में लागू होता है?

उत्तर: नहीं, यह प्रावधान किसी भी ऐसे व्यक्ति पर लागू हो सकता है, जो मुख्य आरोपी के साथ जुड़ा नहीं है लेकिन अपराध में शामिल प्रतीत होता है।

निष्कर्ष

Section 358 BNSS भारतीय न्याय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो अदालत को अधिक लचीलापन और शक्ति प्रदान करता है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी अपराधी न्याय के कटघरे में आएं और कोई भी व्यक्ति साक्ष्यों की कमी के कारण बच न सके। इसके तहत गिरफ्तारी, समन, हिरासत और गवाहों की पुन: सुनवाई जैसी प्रक्रियाएँ शामिल हैं, जो न्याय को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाती हैं।

Section 358 BNSS की समझ से वकील, न्यायाधीश और आम जनता सभी यह जान सकते हैं कि न्याय की प्रक्रिया में कैसे नए आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

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