भारतीय न्याय संहिता, 2023 की Section 348 BNSS: महत्वपूर्ण साक्षी को बुलाने और उपस्थित व्यक्ति की परीक्षा की शक्ति
केंद्र सरकार द्वारा पारित भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) में Section 348 BNSS न्यायिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह Section न्यायालयों को यह अधिकार प्रदान करती है कि वे किसी भी व्यक्ति को गवाह के रूप में बुला सकते हैं, भले ही वह पहले से सूचीबद्ध न हो, और यदि आवश्यक हो तो पहले से परीक्षण किए गए गवाहों को पुनः बुला सकते हैं। इस लेख में हम Section 348 BNSS के महत्व, इसके न्यायिक विवेक, और संबंधित न्यायिक निर्णयों पर चर्चा करेंगे।
Section 348 BNSS का महत्व
Section 348 BNSS के अनुसार:
“किसी भी न्यायालय को किसी भी जांच, मुकदमे या अन्य कार्यवाही के किसी भी चरण में किसी व्यक्ति को गवाह के रूप में बुलाने, उपस्थित व्यक्ति की परीक्षा करने, या पहले से परीक्षण किए गए किसी व्यक्ति को पुनः बुलाने और पुनः परीक्षा करने का अधिकार है; और न्यायालय को ऐसा करना चाहिए यदि उस व्यक्ति का साक्ष्य मामले के न्यायपूर्ण निर्णय के लिए आवश्यक प्रतीत होता है।”
यह प्रावधान न्यायालयों को लचीलापन प्रदान करता है, जिससे वे न्यायिक प्रक्रिया के दौरान आवश्यकतानुसार साक्ष्य एकत्र कर सकते हैं।
See This :- Section 173 BNSS New Section of F.I.R Information In cognizable Cases
न्यायालय का विवेक और दायित्व
Section 348 BNSS न्यायालयों को दो प्रकार के अधिकार प्रदान करती है:
- विवेकाधीन अधिकार: न्यायालय किसी भी व्यक्ति को गवाह के रूप में बुला सकता है, उपस्थित व्यक्ति की परीक्षा कर सकता है, या पहले से परीक्षण किए गए व्यक्ति को पुनः बुला सकता है।
- अनिवार्य दायित्व: यदि किसी व्यक्ति का साक्ष्य मामले के न्यायपूर्ण निर्णय के लिए आवश्यक प्रतीत होता है, तो न्यायालय को उसे बुलाना और परीक्षा करना अनिवार्य है।
यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी महत्वपूर्ण साक्ष्य की अनदेखी न हो और न्यायपूर्ण निर्णय लिया जा सके।
न्यायिक विवेक का प्रयोग
न्यायालयों को Section 348 BNSS के तहत अपने विवेक का प्रयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। यह अधिकार केवल तब प्रयोग में लाया जाना चाहिए जब:
- किसी महत्वपूर्ण साक्ष्य की आवश्यकता हो।
- किसी गवाह का साक्ष्य मामले के न्यायपूर्ण निर्णय के लिए आवश्यक हो।
- किसी गवाह की अनुपस्थिति से न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो सकती हो।
न्यायालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस अधिकार का प्रयोग केवल न्याय के हित में हो और यह पक्षकारों के अधिकारों का उल्लंघन न करे।
संबंधित न्यायिक निर्णय
1. उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ़ का निर्णय (CRMP No. 1498 of 2025):
इस निर्णय में उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि Section 348 BNSS का प्रयोग केवल तब किया जा सकता है जब किसी गवाह का साक्ष्य मामले के न्यायपूर्ण निर्णय के लिए आवश्यक हो। न्यायालय ने यह भी कहा कि इस अधिकार का प्रयोग विवेकपूर्ण और सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।
2. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय (संदर्भ: Law Notes):
सुप्रीम कोर्ट ने Section 348 BNSS के तहत न्यायालयों को यह अधिकार प्रदान किया है कि वे किसी भी व्यक्ति को गवाह के रूप में बुला सकते हैं, उपस्थित व्यक्ति की परीक्षा कर सकते हैं, या पहले से परीक्षण किए गए व्यक्ति को पुनः बुला सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह अधिकार केवल तब प्रयोग में लाया जाना चाहिए जब यह न्याय के हित में हो।
निष्कर्ष
Section 348 BNSS भारतीय न्याय संहिता, 2023 में न्यायालयों को महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्र करने और न्यायपूर्ण निर्णय लेने के लिए आवश्यक अधिकार प्रदान करती है। हालांकि, इस अधिकार का प्रयोग विवेकपूर्ण और सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए, ताकि यह पक्षकारों के अधिकारों का उल्लंघन न करे और न्याय की प्रक्रिया में कोई विघ्न न आए।
यदि आप इस विषय पर और जानकारी चाहते हैं या किसी विशेष मामले में इस प्रावधान के आवेदन पर चर्चा करना चाहते हैं, तो कृपया टिप्पणी करें या संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: क्या Section 348 BNSS के तहत न्यायालय किसी भी व्यक्ति को गवाह के रूप में बुला सकता है?
उत्तर: हां, Section 348 BNSS के तहत न्यायालय किसी भी व्यक्ति को गवाह के रूप में बुला सकता है, भले ही वह पहले से सूचीबद्ध न हो, यदि उसका साक्ष्य मामले के न्यायपूर्ण निर्णय के लिए आवश्यक हो।
प्रश्न 2: क्या न्यायालय को किसी गवाह को पुनः बुलाने और परीक्षा करने का अधिकार है?
उत्तर: हां, न्यायालय के पास यह अधिकार है कि वह पहले से परीक्षण किए गए किसी व्यक्ति को पुनः बुला सकता है और उसकी परीक्षा कर सकता है, यदि यह न्याय के हित में हो।
प्रश्न 3: क्या Section 348 BNSS का प्रयोग विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए?
उत्तर: हां, न्यायालयों को Section 348 BNSS का प्रयोग विवेकपूर्ण और सावधानीपूर्वक तरीके से करना चाहिए, ताकि यह पक्षकारों के अधिकारों का उल्लंघन न करे और न्याय की प्रक्रिया में कोई विघ्न न आए।
प्रश्न 4: क्या Section 348 BNSS का प्रयोग केवल तब किया जाना चाहिए जब कोई महत्वपूर्ण साक्ष्य की आवश्यकता हो?
उत्तर: हां, Section 348 BNSS का प्रयोग केवल तब किया जाना चाहिए जब किसी महत्वपूर्ण साक्ष्य की आवश्यकता हो और वह साक्ष्य मामले के न्यायपूर्ण निर्णय के लिए आवश्यक हो।
प्रश्न 5: क्या Section 348 BNSS का प्रयोग न्यायालयों के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है?
उत्तर: हां, Section 348 BNSS का प्रयोग न्यायालयों के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है, लेकिन यदि किसी गवाह का साक्ष्य मामले के न्यायपूर्ण निर्णय के लिए आवश्यक हो, तो न्यायालय को उसे बुलाना और परीक्षा करना अनिवार्य है।
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