भारत के Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 (BNS) में Section 31 BNS एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो “Communication made in good faith” अर्थात् सद्भावना से की गई संचार को अपराध से मुक्त करता है। इस धारा का मूल उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के हित में, पूरी निष्ठा और भलाई की भावना से कोई सूचना या राय साझा करता है, और उस संचार से सामने वाले व्यक्ति को कोई क्षति हो जाती है, तो वह कृत्य अपराध नहीं माना जाएगा।
- 1 Section 31 BNS का मूल प्रावधान
- 2 Illustration (उदाहरण) – कानून द्वारा दिया गया
- 3 Section 31 BNS का उद्देश्य
- 4 Section 31 BNS प्रमुख तत्व (Key Ingredients)
- 5 Good Faith (सद्भावना) की कानूनी व्याख्या
- 6 Section 31 BNS और मेडिकल प्रोफेशन
- 7 Section 31 BNS और Advocates (वकील)
- 8 Section 31 BNS: अन्य उदाहरण
- 9 Case Laws (न्यायालयीन दृष्टांत)
- 10 Section 31 BNS और पूर्ववर्ती कानून (IPC तुलना)
- 11 Section 31 BNS उपखंडों द्वारा विश्लेषण
- 12 FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
- 13 Comments (टिप्पणियाँ)
- 14 Section 31 BNS निष्कर्ष
Section 31 BNS का मूल प्रावधान
धारा 31 का कथन:
“No communication made in good faith is an offence by reason of any harm to the person to whom it is made, if it is made for the benefit of that person.”
अर्थ:
यदि कोई संचार सद्भावना में और किसी के हित के लिए किया जाता है, तो उससे उत्पन्न किसी भी प्रकार की हानि को अपराध नहीं माना जाएगा।
Illustration (उदाहरण) – कानून द्वारा दिया गया
उदाहरण:
एक सर्जन अपने मरीज से ईमानदारी से यह कहता है कि वह अब जीवित नहीं रहेगा। इस सूचना के आघात से मरीज की मृत्यु हो जाती है।
इस स्थिति में सर्जन पर कोई अपराध नहीं बनता, क्योंकि उसने यह संचार मरीज के हित में और पूरी निष्ठा से किया था।
Section 31 BNS का उद्देश्य
- समाज में ईमानदार संचार को प्रोत्साहन देना।
- डॉक्टर, वकील, शिक्षक या कोई भी पेशेवर अपने कार्यक्षेत्र में सत्य और सद्भावना से संवाद कर सके।
- संचार को अपराध नहीं ठहराना यदि उसका उद्देश्य लाभकारी और नेकनीयत हो।
This Is Important :- Section 30 BNS Act done in good faith for benefit of a person without consent.
Section 31 BNS प्रमुख तत्व (Key Ingredients)
- Communication होना चाहिए – यह मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से हो सकता है।
- Good Faith (सद्भावना) जरूरी है – यानी, संचार करते समय धोखाधड़ी या दुर्भावना नहीं होनी चाहिए।
- Beneficiary के हित में होना चाहिए – संचार केवल इसलिए अपराध से मुक्त होगा क्योंकि वह प्राप्तकर्ता के लाभ के लिए किया गया था।
- Harm का कारण बनना अपराध नहीं होगा – यदि नुकसान हो जाए, तब भी अपराध नहीं गिना जाएगा, बशर्ते संचार सद्भावना से हुआ हो।
Good Faith (सद्भावना) की कानूनी व्याख्या
भारतीय विधि में Good Faith का मतलब है:
- बिना धोखा दिए,
- बिना किसी निजी स्वार्थ के,
- उचित सावधानी और सतर्कता बरतते हुए किया गया कार्य।
यदि संचार करते समय व्यक्ति ने उचित ध्यान और सावधानी रखी है, तो वह “Good Faith” माना जाएगा।
Section 31 BNS और मेडिकल प्रोफेशन
यह धारा विशेष रूप से डॉक्टरों और मेडिकल पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण है।
- डॉक्टर को मरीज को उसकी बीमारी की वास्तविक स्थिति बतानी पड़ती है।
- यदि वह सत्य छुपाए तो यह मरीज के हित में नहीं होगा।
- लेकिन यदि सत्य बताने से मरीज को सदमा लगे और उसकी मृत्यु हो जाए, तो डॉक्टर अपराधी नहीं ठहराया जाएगा।
Section 31 BNS और Advocates (वकील)
- वकील अपने मुवक्किल को मामले की स्थिति ईमानदारी से बताते हैं।
- यदि वकील बताता है कि केस हारने की संभावना है और इससे क्लाइंट मानसिक आघात महसूस करता है, तो भी यह अपराध नहीं होगा।
Section 31 BNS: अन्य उदाहरण
- शिक्षक का उदाहरण
यदि एक शिक्षक अपने छात्र को बताता है कि यदि वह मेहनत नहीं करेगा तो वह परीक्षा में असफल हो जाएगा। इससे छात्र तनाव में आकर बीमार हो जाए, तो शिक्षक पर अपराध नहीं बनेगा। - मित्र का उदाहरण
यदि कोई मित्र दूसरे को बताता है कि उसकी बुरी आदतें उसे नुकसान पहुंचा रही हैं और वह बदल जाए, लेकिन सुनकर व्यक्ति आहत हो जाता है, तब भी मित्र अपराधी नहीं होगा। - मनोवैज्ञानिक परामर्श का उदाहरण
यदि काउंसलर ईमानदारी से रोगी को उसकी मानसिक स्थिति के बारे में बताता है और रोगी आहत हो जाता है, तो भी यह अपराध नहीं है।
Case Laws (न्यायालयीन दृष्टांत)
- Dr. Laxman Balkrishna Joshi v. Trimbak Bapu Godbole (1969 AIR 128)
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर का मुख्य कर्तव्य मरीज की देखभाल करना है।
- यदि डॉक्टर ने सद्भावना से जानकारी दी है, तो उसे अपराध नहीं ठहराया जा सकता।
- Poonam Verma v. Ashwin Patel (1996 AIR 2111)
- इसमें सद्भावना और प्रोफेशनल जिम्मेदारी का संतुलन स्पष्ट किया गया।
- यदि संचार विशेषज्ञता और मरीज के हित में है, तो अपराध नहीं माना जाएगा।
- Jacob Mathew v. State of Punjab (2005 6 SCC 1)
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर को सद्भावना से कार्य करने पर अपराधी नहीं ठहराया जा सकता।
Section 31 BNS और पूर्ववर्ती कानून (IPC तुलना)
यह धारा भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 93 से प्रेरित है।
IPC 93 और BNS 31 का आशय समान है, लेकिन BNS में भाषा को अधिक सरल और स्पष्ट किया गया है।
Section 31 BNS उपखंडों द्वारा विश्लेषण
Communication का स्वरूप
संचार मौखिक, लिखित, इलेक्ट्रॉनिक या गैर-मौखिक इशारों में भी हो सकता है।
सद्भावना की कसौटी
सद्भावना का मूल्यांकन परिस्थितियों और मंशा पर आधारित होता है।
हानि की संभावना
यदि संचार से हानि होना संभावित है, लेकिन संचार लाभ के उद्देश्य से हुआ है, तो अपराध नहीं बनता।
पेशेवर दायित्व और Section 31
डॉक्टर, वकील, शिक्षक और काउंसलर जैसे पेशों में यह धारा विशेष सुरक्षा प्रदान करती है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्या हर संचार Section 31 BNS के अंतर्गत अपराध से मुक्त होगा?
नहीं। केवल वही संचार जो सद्भावना और लाभ के उद्देश्य से किया गया हो।
Q2. यदि संचार में झूठ बोला गया तो क्या होगा?
यदि संचार गलत है और सद्भावना से नहीं है, तो अपराध बन सकता है।
Q3. क्या यह धारा केवल डॉक्टरों पर लागू होती है?
नहीं। यह धारा हर उस व्यक्ति पर लागू होती है जो सद्भावना में किसी के हित के लिए संचार करता है।
Q4. यदि किसी को आर्थिक नुकसान हो जाए तो क्या यह धारा लागू होगी?
यदि नुकसान सद्भावना से दिए गए संचार के कारण हुआ है, तो अपराध नहीं होगा।
Comments (टिप्पणियाँ)
- यह धारा संचार की स्वतंत्रता और ईमानदारी की रक्षा करती है।
- इसका दुरुपयोग तभी रोका जा सकता है जब “Good Faith” की कसौटी सख्ती से लागू हो।
- आधुनिक समय में जब सोशल मीडिया पर भी संचार होता है, तो इस धारा का दायरा बढ़ता है।
- डॉक्टर–मरीज और वकील–क्लाइंट संबंधों में विश्वास बनाए रखने के लिए यह प्रावधान महत्वपूर्ण है।
Section 31 BNS निष्कर्ष
Section 31 BNS – Communication made in good faith यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति, यदि सद्भावना और भलाई की भावना से किसी के साथ संचार करता है, तो उससे उत्पन्न नुकसान अपराध नहीं माना जाएगा।
यह धारा न केवल डॉक्टरों और पेशेवरों की सुरक्षा करती है, बल्कि समाज में ईमानदार और सत्यनिष्ठ संवाद की परंपरा को भी बढ़ावा देती है। इसका मुख्य आधार यही है कि “सत्य और सद्भावना में कही गई बात अपराध नहीं हो सकती।”
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