Section 29 BNS : ऐसे कृत्य जो स्वतंत्र अपराध हैं, भले ही सहमति हो
- 1 भूमिका Section 29 BNS
- 2 Section 29 BNS का मुख्य प्रावधान
- 3 Section 29 BNS का उद्देश्य
- 4 उदाहरण (Illustration)
- 5 Section 29 BNS और धारा 25, 26, 27 का संबंध
- 6 संबंधित अपराधों के उदाहरण
- 7 न्यायालयीन निर्णय (Case Laws)
- 8 टिप्पणियाँ (Comments)
- 9 Section 29 BNS का व्यावहारिक प्रभाव
- 10 सामान्य प्रश्न (FAQs)
- 11 निष्कर्ष
भूमिका Section 29 BNS
भारतीय दंड संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) में विभिन्न धाराओं के माध्यम से अपराध और दंड की परिभाषा दी गई है। Section 29 BNS का विशेष महत्व है क्योंकि यह स्पष्ट करती है कि कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिन्हें केवल इस आधार पर नहीं ठहराया जा सकता कि पीड़ित व्यक्ति ने उनकी सहमति दी है। ऐसे अपराध स्वयं में अपराध हैं और सहमति से भी वैध नहीं हो जाते।
इस लेख में हम धारा 29 BNS का विस्तार से अध्ययन करेंगे। इसमें प्रावधान, उसकी व्याख्या, उदाहरण (Illustrations), संबंधित न्यायालयीन निर्णय (Case Laws), टिप्पणियाँ (Comments), सामान्य प्रश्न (FAQs) और कानूनी दृष्टिकोण शामिल किए जाएंगे।
Section 29 BNS का मुख्य प्रावधान
धारा 29 कहती है:
“धारा 25, 26 और 27 में वर्णित अपवाद उन कृत्यों पर लागू नहीं होंगे जो अपने आप में अपराध हैं, चाहे वे उस व्यक्ति को हानि पहुँचाएँ या न पहुँचाएँ जिसकी सहमति ली गई हो।”
सरल शब्दों में
- कुछ अपराध ऐसे हैं जिनमें सहमति अप्रासंगिक है।
- यदि अपराध अपने आप में अपराध है, तो सहमति उसे वैध नहीं बनाती।
- उदाहरण: गर्भपात कराना (Miscarriage), जब तक वह महिला की जान बचाने के लिए न किया गया हो।
Section 29 BNS का उद्देश्य
इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि:
- सहमति का दुरुपयोग न हो – कई बार लोग अपनी इच्छा से भी ऐसे कार्यों के लिए तैयार हो सकते हैं जो समाज और कानून की दृष्टि में अस्वीकार्य हैं।
- सार्वजनिक नीति (Public Policy) की रक्षा करना – कुछ अपराध केवल पीड़ित को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करते हैं।
- न्यायिक स्पष्टता – अदालतें यह मानकर चलें कि ऐसे मामलों में सहमति का कोई महत्व नहीं है।
उदाहरण (Illustration)
मान लीजिए, एक महिला अपनी इच्छा से गर्भपात कराना चाहती है। लेकिन यदि यह गर्भपात चिकित्सकीय आवश्यकता (जैसे – महिला की जान बचाने) के लिए नहीं किया जा रहा है, तो यह कार्य कानूनन अपराध है।
इस स्थिति में महिला की सहमति भी अपराध को वैध नहीं बनाएगी।
Section 29 BNS और धारा 25, 26, 27 का संबंध
- धारा 25 BNS : ऐसे कार्य जिनसे मृत्यु या गंभीर चोट की संभावना नहीं है और सहमति प्राप्त है, अपराध नहीं माने जाते।
- धारा 26 BNS : सहमति से किया गया नुकसान यदि मृत्यु या गंभीर चोट के बिना है, तो अपराध नहीं।
- धारा 27 BNS : 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे या सक्षम व्यक्ति की सहमति पर भी कुछ कार्य अपराध नहीं होते।
लेकिन Section 29 BNS स्पष्ट कर देती है कि ये अपवाद उन अपराधों पर लागू नहीं होंगे जो अपने आप में अपराध हैं।
संबंधित अपराधों के उदाहरण
- गर्भपात (Miscarriage) – सहमति होने पर भी अपराध।
- मानव तस्करी (Human Trafficking) – पीड़ित की सहमति का महत्व नहीं।
- अश्लील सामग्री का निर्माण – सहमति होने पर भी अपराध।
- नाबालिग से यौन संबंध – नाबालिग की सहमति का कोई मूल्य नहीं।
न्यायालयीन निर्णय (Case Laws)
1. Suchita Srivastava v. Chandigarh Administration (2009)
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि महिला को गर्भधारण और गर्भपात पर निर्णय लेने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार कानून द्वारा निर्धारित सीमाओं के अधीन है। यदि गर्भपात कानून द्वारा निषिद्ध परिस्थितियों में किया जाता है, तो सहमति इसे वैध नहीं बनाती।
2. State of Maharashtra v. Maroti
इस मामले में कोर्ट ने कहा कि नाबालिग की सहमति अपराध को वैध नहीं कर सकती, क्योंकि यह अपराध अपनी प्रकृति में ही अपराध है।
3. P. Rathinam v. Union of India
आत्महत्या के प्रयास के मामले में यह चर्चा हुई कि सहमति और स्वेच्छा का महत्व कहाँ तक है। अदालत ने कहा कि समाज की भलाई को देखते हुए ऐसे अपराधों पर सहमति को मान्यता नहीं दी जा सकती।
टिप्पणियाँ (Comments)
कानूनी विद्वानों का मानना है कि Section 29 BNS का महत्व इसलिए है क्योंकि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करती है। यदि किसी अपराध को केवल सहमति के आधार पर वैध मान लिया जाए तो इससे समाज में अराजकता फैल सकती है।
Section 29 BNS का व्यावहारिक प्रभाव
- चिकित्सक और स्वास्थ्य सेवाएँ – डॉक्टर केवल उन्हीं परिस्थितियों में गर्भपात कर सकते हैं जो कानून में अनुमत हैं।
- किशोर न्याय – नाबालिग के मामलों में सहमति अप्रासंगिक रहती है।
- सार्वजनिक सुरक्षा – ऐसे अपराधों पर रोक लगती है जो समाज की नैतिकता और व्यवस्था को प्रभावित करते हैं।
सामान्य प्रश्न (FAQs)
Q1. क्या महिला की सहमति से किया गया गर्भपात अपराध है?
हाँ, यदि गर्भपात चिकित्सकीय कारणों से नहीं किया गया तो यह अपराध है, सहमति का महत्व नहीं।
Q2. यदि कोई नाबालिग स्वयं तैयार हो, तो क्या उसके साथ यौन संबंध अपराध है?
हाँ, नाबालिग की सहमति अप्रासंगिक है। यह अपराध अपने आप में अपराध है।
Q3. क्या धारा 25, 26 और 27 की सुरक्षा धारा 29 में उपलब्ध है?
नहीं, धारा 29 साफ कहती है कि ये अपवाद उन अपराधों पर लागू नहीं होते जो स्वतंत्र अपराध हैं।
Q4. क्या धारा 29 BNS समाज के लिए आवश्यक है?
हाँ, क्योंकि यह अपराधों को केवल सहमति के आधार पर वैध ठहराने से रोकती है और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
निष्कर्ष
Section 29 BNS भारतीय दंड विधि का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह सुनिश्चित करता है कि कुछ अपराध अपने आप में अपराध हैं और उन्हें सहमति के आधार पर वैध नहीं ठहराया जा सकता।
इस धारा का उद्देश्य समाज की नैतिकता, सुरक्षा और न्याय की रक्षा करना है।
इसलिए यह कहा जा सकता है कि Section 29 BNS व्यक्ति और समाज दोनों के हित में अत्यंत आवश्यक और प्रभावी प्रावधान है।