Section 28 BNS Consent known to be given under fear or misconception.

Section 28 BNS : भय या भ्रांति में दी गई सहमति (Consent known to be given under fear or misconception)

भारतीय दंड संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) के अंतर्गत Section 28 BNS एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह धारा इस सिद्धांत पर आधारित है कि किसी भी व्यक्ति की सहमति तभी मान्य होगी जब वह स्वतंत्र, वास्तविक और स्पष्ट परिस्थितियों में दी गई हो। यदि सहमति भय, धोखे, भ्रांति या नाबालिग/अविवेकी अवस्था में दी जाती है, तो ऐसी सहमति कानून की दृष्टि में वैध नहीं मानी जाती।

इस धारा के अंतर्गत सहमति की वैधता को लेकर तीन मुख्य परिस्थितियाँ बताई गई हैं:

  1. भय या भ्रांति के कारण दी गई सहमति।
  2. मानसिक अस्वस्थता या नशे की हालत में दी गई सहमति।
  3. बारह वर्ष से कम उम्र के बच्चे द्वारा दी गई सहमति।

Section 28 BNS : परिभाषा और मुख्य विशेषताएँ

धारा 28 BNS का मूल कथन इस प्रकार है:

“किसी भी धारा के उद्देश्य से यह सहमति वैध सहमति नहीं मानी जाएगी––
(a) यदि सहमति किसी व्यक्ति द्वारा भय या तथ्य की भ्रांति में दी गई हो, और कार्य करने वाले व्यक्ति को यह ज्ञात हो या ज्ञात होना चाहिए कि सहमति ऐसे भय या भ्रांति के परिणामस्वरूप दी गई है; या
(b) यदि सहमति किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा दी गई है जो मानसिक अस्वस्थता या नशे के कारण उस कार्य की प्रकृति और परिणाम को समझने में असमर्थ है; या
(c) जब तक कि प्रसंग से विपरीत प्रतीत न हो, यदि सहमति बारह वर्ष से कम आयु के बच्चे द्वारा दी गई है।”

Important Topic :- Section 27 BNS Act done in good faith for benefit of child or person of unsound mind, by, or by consent of guardian.

मुख्य बिंदु:

  • सहमति तभी मान्य है जब यह स्वतंत्र इच्छा से दी गई हो।
  • भय या धोखे के परिणामस्वरूप प्राप्त सहमति अमान्य है।
  • मानसिक रूप से अस्वस्थ या नशे की अवस्था में दी गई सहमति भी शून्य मानी जाती है।
  • बारह वर्ष से कम आयु वाले बच्चे की सहमति कानूनी दृष्टि में मान्य नहीं होती।
Section 28 BNS
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Section 28 BNS : भय या भ्रांति के कारण सहमति

1. भय (Fear) के अंतर्गत सहमति

यदि किसी व्यक्ति को नुकसान पहुँचाने की धमकी देकर, या किसी भी प्रकार के डर का वातावरण बनाकर सहमति प्राप्त की जाती है, तो यह वैध सहमति नहीं होगी। उदाहरण के लिए, किसी को धमकाकर यह कहना कि “यदि तुम यह जमीन मेरे नाम नहीं करोगे तो तुम्हें जान से मार दूँगा”, और ऐसे दबाव में जमीन पर हस्ताक्षर करवा लेना, धारा 28 के अंतर्गत अमान्य है।

2. भ्रांति (Misconception of fact) के अंतर्गत सहमति

जब किसी व्यक्ति को गलत तथ्यों का विश्वास दिलाकर उसकी सहमति ली जाती है, तब भी वह सहमति वैध नहीं होती। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति स्वयं को किसी और के रूप में प्रस्तुत करके शादी कर लेता है, तो यह सहमति भ्रांति पर आधारित मानी जाएगी।

Section 28 BNS : मानसिक अस्वस्थता या नशे की हालत में सहमति

यदि सहमति देने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ है या नशे की हालत में है, और वह अपने कार्य की प्रकृति तथा परिणाम को समझ नहीं पा रहा है, तो उसकी दी गई सहमति मान्य नहीं होगी।

उदाहरण:

यदि कोई व्यक्ति शराब या नशे के प्रभाव में किसी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कर देता है, लेकिन उसे उस दस्तावेज़ के परिणाम समझ में नहीं आ रहे थे, तो उसकी सहमति शून्य मानी जाएगी।

Section 28 BNS : बारह वर्ष से कम आयु में सहमति

बारह वर्ष से कम आयु का बच्चा अपनी सहमति देने की कानूनी क्षमता नहीं रखता। उसकी सहमति को वैध नहीं माना जाएगा, क्योंकि उस उम्र में बच्चे को परिणामों की पूर्ण जानकारी और समझ नहीं होती।

उदाहरण:

यदि कोई बच्चा अपनी सहमति से किसी खतरनाक खेल में भाग लेता है और चोटिल हो जाता है, तो आयोजक इस आधार पर दोषमुक्त नहीं हो सकता कि बच्चे ने सहमति दी थी।

Section 28 BNS : व्याख्या और महत्व

धारा 28 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अपराधी किसी भी भय, धोखे या नाबालिग/अक्षम व्यक्ति की सहमति का फायदा उठाकर कानूनी सुरक्षा न पा सके।
यह धारा व्यक्ति की स्वतंत्र इच्छा और जानकारी के अधिकार को कानूनी महत्व देती है।

Section 28 BNS : उदाहरण (Illustration)

उदाहरण 1:
“A” ने “B” को धमकाया कि यदि उसने अपनी जमीन उसके नाम नहीं की तो वह उसके परिवार को नुकसान पहुँचाएगा। “B” ने डर के कारण सहमति दे दी। यह सहमति अमान्य है।

उदाहरण 2:
“C” ने स्वयं को “D” का पति बताकर “E” से शारीरिक संबंध बनाए। “E” ने भ्रांति में सहमति दी। यह सहमति धारा 28 के अंतर्गत शून्य मानी जाएगी।

उदाहरण 3:
10 वर्ष का बच्चा किसी खतरनाक झूले पर चढ़ने की सहमति देता है और चोटिल हो जाता है। आयोजक यह नहीं कह सकता कि सहमति थी, क्योंकि बच्चा बारह वर्ष से कम उम्र का था।

Section 28 BNS : संबंधित न्यायिक निर्णय (Case Laws)

  1. State of U.P. v. Naushad (2013)
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि विवाह के नाम पर शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं और सहमति धोखे में प्राप्त की गई है, तो यह वैध सहमति नहीं है।
  2. R v. Clarence (1888)
    यहाँ यह निर्णय दिया गया कि सहमति केवल तभी मान्य होगी जब वह वास्तविक तथ्यों के ज्ञान पर आधारित हो।
  3. Uday v. State of Karnataka (2003)
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि सहमति धोखे या गलत वादे से प्राप्त की गई हो, तो वह सहमति वैध नहीं है।

Section 28 BNS : टिप्पणियाँ (Comments)

  • यह धारा व्यक्ति की स्वतंत्र इच्छा की रक्षा करती है।
  • समाज में कमजोर, नाबालिग या मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों के अधिकारों को सुरक्षित करती है।
  • यह प्रावधान अपराधियों को गलत सहमति के आधार पर दोषमुक्त होने से रोकता है।
  • यह धारा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 90 के समान है, जिसे अब BNS में पुनः व्यवस्थित किया गया है।

Section 28 BNS : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1. क्या भय के कारण दी गई सहमति मान्य होती है?
नहीं, भय में दी गई सहमति धारा 28 BNS के अंतर्गत शून्य मानी जाती है।

Q2. क्या नशे की हालत में दी गई सहमति मान्य होती है?
नहीं, यदि व्यक्ति कार्य के परिणाम नहीं समझ पा रहा है तो उसकी सहमति अमान्य है।

Q3. क्या बारह वर्ष से कम आयु के बच्चे की सहमति मान्य है?
नहीं, बारह वर्ष से कम आयु वाले बच्चे की सहमति कानूनी दृष्टि में शून्य है।

Q4. भ्रांति पर आधारित सहमति कब अमान्य होगी?
जब व्यक्ति गलत तथ्य मानकर सहमति दे और कार्य करने वाले को यह पता हो कि सहमति भ्रांति में दी जा रही है।

Q5. क्या यह धारा केवल आपराधिक मामलों में लागू होती है?
हाँ, यह धारा मुख्यतः अपराधों में सहमति की वैधता निर्धारित करने के लिए प्रयोग की जाती है।

निष्कर्ष

Section 28 BNS का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अपराधियों को भय, भ्रांति, नशा या नाबालिग अवस्था में दी गई सहमति के आधार पर कोई लाभ न मिले। सहमति तभी मान्य मानी जाएगी जब वह स्वतंत्र, स्वेच्छा से और वास्तविक तथ्यों के ज्ञान पर आधारित हो।

इस प्रकार, यह धारा न केवल पीड़ित के अधिकारों की रक्षा करती है, बल्कि अपराधियों को कानूनी जिम्मेदारी से बचने से भी रोकती है।

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