- 1 परिचय
- 2 Section 27 BNS भारतीय न्याय संहिता (BNS) में प्रावधान का परिचय
- 3 Section 27 BNS अच्छे इरादे से किए गए कार्य की परिभाषा और आवश्यकताएं
- 4 Section 27 BNS अभिभावक या वैध उत्तरदायी व्यक्ति की सहमति का महत्व
- 5 Section 27 BNS संरक्षण के दायरे में आने वाले मामले और उनकी सीमाएं
- 6 Section 27 BNS अपवाद और प्रतिबंध – कब यह सुरक्षा लागू नहीं होती?
- 7 उदाहरण द्वारा समझना – व्यवहारिक स्थिति विश्लेषण
- 8 लॉ एण्ड एथिक्स का संतुलन – बच्चों व मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों की सुरक्षा
- 9 Section 27 BNS समापन एवं महत्वपूर्ण सुझाव
- 10 Section 27 BNS अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
परिचय
भारतीय न्याय संहिता Section 27 BNS में अच्छे इरादे से किया गया कार्य एक महत्वपूर्ण कानूनी अवधारणा है जो विशेष परिस्थितियों में सुरक्षा प्रदान करती है। यह प्रावधान उन कार्यों को संरक्षण देता है जो बारह वर्ष से कम आयु के बालकों या मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों के कल्याण के लिए किए जाते हैं।
अच्छे इरादे से किया गया कार्य क्या होता है?
अच्छे इरादे से किया गया कार्य वह होता है जो:
- सद्भावना और ईमानदारी से किया जाए
- व्यक्ति के हित और कल्याण को ध्यान में रखकर किया जाए
- बिना किसी दुर्भावना या स्वार्थ के प्रेरित हो
बाल और अस्वस्थ मानसिक व्यक्ति की सुरक्षा का महत्व
बालक और मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति अपने निर्णयों की पूर्ण जिम्मेदारी नहीं समझ सकते। उनकी यह असमर्थता उन्हें विशेष सुरक्षा की आवश्यकता बनाती है। कानून इस वास्तविकता को स्वीकार करता है और ऐसे व्यक्तियों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा करने के लिए उपाय करता है।
Section 27 BNS भारतीय न्याय संहिता (BNS) में प्रावधान का परिचय
भारतीय न्याय संहिता का Section 27 BNS भारत की नई आपराधिक संहिता में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो पुराने IPC सेक्शन 89 का स्थान लेता है। यह धारा उन कार्यों के लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान करती है जो अच्छे इरादे से बच्चों या मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों के लाभ के लिए किए जाते हैं।
IPC सेक्शन 89 से तुलना और मुख्य अंतर
नई संहिता में यह प्रावधान अधिक स्पष्ट और व्यापक है। मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए विशेष सुरक्षा
- मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों के लिए समान संरक्षण
- अभिभावक की स्पष्ट या निहित सहमति की आवश्यकता
कानूनी सुरक्षा की परिस्थितियां
यह प्रावधान निम्न स्थितियों में सुरक्षा प्रदान करता है:
- चिकित्सा उपचार के दौरान आवश्यक कार्य
- शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए किए गए उपाय
- बच्चों या मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों की भलाई के लिए किए गए अन्य कार्य
Section 27 BNS अच्छे इरादे से किए गए कार्य की परिभाषा और आवश्यकताएं
अच्छा विश्वास (Good Faith) की व्याख्या
अच्छा विश्वास का तात्पर्य है कि कार्य करने वाला व्यक्ति ईमानदारी से और बिना किसी दुर्भावना के काम कर रहा है। यह व्यक्ति का मानसिक दृष्टिकोण है जो दर्शाता है कि वह वास्तव में बच्चे या मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के हित में कार्य कर रहा है। कानून में यह स्पष्ट किया गया है कि “Nothing which is done in good faith for the benefit of a person under twelve years of age” अपराध नहीं माना जाएगा।
लाभकारी कार्य की आवश्यकता
कार्य का लाभकारी होना इस प्रावधान की मुख्य शर्त है। यह केवल अच्छे इरादे से काम करना पर्याप्त नहीं है – कार्य वास्तव में बच्चे या अस्वस्थ मानसिक व्यक्ति के लिए फायदेमंद होना चाहिए। उदाहरण के लिए:
- चिकित्सा उपचार जो जीवन बचाने के लिए आवश्यक है, जैसे कि सुरक्षा उपाय जो जीवन को बचाने के लिए जरूरी हैं
- शिक्षा और देखभाल संबंधी निर्णय
- सुरक्षा उपाय जो किसी भी प्रकार के खतरे को रोकने के लिए लागू होते हैं, जैसे आगंतुकों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना
Section 27 BNS अभिभावक या वैध उत्तरदायी व्यक्ति की सहमति का महत्व
भारतीय न्याय संहिता की Section 27 BNS के अनुसार, अभिभावक की सहमति किसी भी कार्य की वैधता के लिए आधारभूत आवश्यकता है। यह सहमति दो प्रकार की हो सकती है:
सहमति के प्रकार
स्पष्ट सहमति (Express Consent):
- लिखित या मौखिक रूप से दी गई स्पष्ट अनुमति
- चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए हस्ताक्षरित सहमति पत्र
- विशिष्ट कार्य के लिए स्पष्ट अधिकार प्रदान करना
निहित सहमति (Implied Consent):
- परिस्थितियों से अनुमानित सहमति
- आपातकालीन स्थितियों में अभिभावक की अनुपस्थिति में
- दैनिक देखभाल की गतिविधियों के लिए
वैध उत्तरदायित्व की आवश्यकताएं
कानून के अनुसार, वैध उत्तरदायी व्यक्ति वह होता है जिसके पास:
- बालक या अस्वस्थ मानसिक व्यक्ति की देखभाल का कानूनी अधिकार
- न्यायालय द्वारा नियुक्त अभिभावक
Section 27 BNS संरक्षण के दायरे में आने वाले मामले और उनकी सीमाएं
कानूनी संरक्षण का दायरा स्पष्ट रूप से दो विशिष्ट श्रेणियों तक सीमित है। पहली श्रेणी में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, जबकि दूसरी श्रेणी में अस्वस्थ मानसिक स्थिति वाले व्यक्ति आते हैं। यह सीमा निर्धारण इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इन व्यक्तियों में सूचित सहमति देने की क्षमता का अभाव होता है।
Section 27 BNS संरक्षण की शर्तें
यदि निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हैं तो हानि या चोट पहुंचने पर भी कार्य को अपराध नहीं माना जाएगा:
- कार्य अच्छे विश्वास से किया गया हो
- कार्य का उद्देश्य व्यक्ति का कल्याण हो
- अभिभावक या वैध जिम्मेदार व्यक्ति की सहमति प्राप्त हो
Section 27 BNS व्यावहारिक उदाहरण
कानून में दिया गया उदाहरण इस संरक्षण को स्पष्ट करता है। यदि कोई अभिभावक अच्छे विश्वास से, बच्चे के उपचार के उद्देश्य से, किसी चिकित्सीय प्रक्रिया को अंजाम देता है और बच्चे को कोई हानि होती है, तो यह कार्य अपराध नहीं माना जाएगा यदि उपरोक्त सभी शर्तें पूरी होती हैं।
Section 27 BNS अपवाद और प्रतिबंध – कब यह सुरक्षा लागू नहीं होती?
भारतीय न्याय संहिता की Section 27 BNS में स्पष्ट अपवाद निर्धारित किए गए हैं जो इस कानूनी सुरक्षा की सीमाओं को परिभाषित करते हैं। यह प्रावधान निम्नलिखित परिस्थितियों में लागू नहीं होता:
मृत्यु संबंधी निषेध
जानबूझकर मृत्यु या चोट पहुंचाने का कोई भी प्रयास इस सुरक्षा के दायरे से बाहर है। अभिभावक या संरक्षक किसी भी स्थिति में बच्चे या मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति की जानबूझकर हत्या करने का अधिकार नहीं रखते।
जोखिम भरे कार्यों की सीमाएं
जब कोई व्यक्ति जानता हो कि उसका कार्य मृत्यु का कारण बन सकता है, तब यह छूट केवल तभी मिलती है जब:
- मृत्यु या गंभीर चोटें रोकने के लिए आवश्यक हो
- गंभीर बीमारी या विकलांगता का उपचार करने हेतु हो
उदाहरण द्वारा समझना – व्यवहारिक स्थिति विश्लेषण
भारतीय न्याय संहिता की Section 27 BNS की स्पष्टता के लिए एक कानूनी उदाहरण प्रस्तुत किया गया है जो इस प्रावधान के व्यावहारिक अनुप्रयोग को दर्शाता है।
सर्जिकल उपचार का मामला
“A, अपने बच्चे के हित में, बिना बच्चे की सहमति के, अपने बच्चे का पथरी का ऑपरेशन कराता है। वह जानता है कि इस ऑपरेशन से बच्चे की मृत्यु हो सकती है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चे की मृत्यु करना नहीं है। A इस अपवाद के अंतर्गत आता है क्योंकि उसका उद्देश्य बच्चे का इलाज था।”
इस चिकित्सा उपचार के मामले में निम्नलिखित तत्व महत्वपूर्ण हैं:
- अच्छे विश्वास से किया गया कार्य – पिता का उद्देश्य बच्चे का कल्याण था
- जोखिम प्रबंधन – मृत्यु की संभावना के बावजूद उपचार का निर्णय
- अभिभावकीय निर्णय – बच्चे की सहमति के बिना भी माता-पिता का अधिकार
लॉ एण्ड एथिक्स का संतुलन – बच्चों व मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों की सुरक्षा
भारतीय न्याय संहिता का Section 27 BNS नैतिक जिम्मेदारी और कानूनी संतुलन के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु का काम करता है। यह प्रावधान केवल कानूनी सुरक्षा प्रदान नहीं करता, बल्कि समाज में संरक्षण बनाम हस्तक्षेप के नाजुक संतुलन को भी स्थापित करता है।
कानूनी छूट की परिधि और सीमाएं
कानून द्वारा दी गई छूट की स्पष्ट सीमाएं हैं:
- मृत्यु का जानबूझकर कारण बनाना – पूर्णतः निषिद्ध
- गंभीर चोट पहुंचाना – केवल जीवन रक्षा या गंभीर रोग के उपचार हेतु स्वीकार्य
- दुष्प्रेरणा – इस अनुभाग के तहत संरक्षित नहीं
नैतिक दायित्व की आवश्यकता
अभिभावकों और देखभालकर्ताओं को प्रत्येक निर्णय में नैतिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
Section 27 BNS समापन एवं महत्वपूर्ण सुझाव
कानूनी जागरूकता अभिभावकों के लिए अत्यंत आवश्यक है। भारतीय न्याय संहिता की Section 27 BNS के तहत मिली सुरक्षा का सदुपयोग करने हेतु निम्नलिखित सुरक्षा उपाय अपनाएं:
अभिभावकों के लिए सुझाव:
- सदैव अच्छे इरादे से निर्णय लें और बच्चे के हित को प्राथमिकता दें
- चिकित्सा संबंधी निर्णयों में योग्य डॉक्टर की सलाह अवश्य लें
- स्पष्ट सहमति दें और सभी जोखिमों को समझें
- मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों के साथ धैर्य और संवेदनशीलता बरतें
“12 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति, या अस्वस्थ मन वाले व्यक्ति के लाभ के लिए, अभिभावक द्वारा, या अभिभावक की सहमति से किया गया कोई भी कार्य अपराध नहीं है”
यह कानूनी प्रावधान आपको सुरक्षा प्रदान करता है, परंतु जिम्मेदारी से इसका उपयोग करना आपका कर्तव्य है।
Section 27 BNS अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
अच्छे इरादे से किया गया कार्य क्या होता है?
अच्छे इरादे से किया गया कार्य वह होता है जो किसी बाल या अस्वस्थ मानसिक व्यक्ति के लाभ के लिए किया जाता है, जिसमें अभिभावक या वैध जिम्मेदार व्यक्ति की सहमति होती है, और जिसमें हानि का उद्देश्य नहीं होता। यह कार्य उस व्यक्ति के हित में होता है, भले ही उससे कुछ हानि हो सकती हो।
बाल और अस्वस्थ मानसिक व्यक्ति की सुरक्षा का महत्व क्या है?
बाल और अस्वस्थ मानसिक व्यक्तियों की सुरक्षा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे अपनी सुरक्षा और निर्णय लेने में सक्षम नहीं होते। इसलिए, उनके हित में किए गए कार्यों में उन्हें नुकसान पहुंचाने का इरादा न होना आवश्यक है, और ऐसे कार्यों को कानून द्वारा विशेष संरक्षण प्राप्त होता है।
अभिभावक या वैध जिम्मेदार व्यक्ति की सहमति का कानूनी महत्व क्या है?
अभिभावक या वैध जिम्मेदार व्यक्ति की सहमति इस बात को सुनिश्चित करती है कि बाल या अस्वस्थ मानसिक व्यक्ति के लिए किए जाने वाले कार्य उनके हित में हैं। बिना उनकी सहमति के किए गए कार्यों को अपराध माना जा सकता है, जब तक कि वे आपातकालीन या जीवन रक्षक स्थिति में न हों।
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