Section 25 BNS : सहमति से किया गया ऐसा कार्य जिसका उद्देश्य मृत्यु या गंभीर चोट पहुँचाना न हो
भारत के भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) में धारा 25 (Section 25 BNS) एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह प्रावधान उस स्थिति से संबंधित है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की सहमति से कोई कार्य करता है, और उस कार्य का उद्देश्य न तो मृत्यु है और न ही गंभीर चोट पहुँचाना, साथ ही कर्ता को यह ज्ञात भी नहीं है कि उसके कार्य से मृत्यु या गंभीर चोट हो सकती है।
इस धारा का मूल सिद्धांत यह है कि— यदि कार्य का उद्देश्य मृत्यु या गंभीर चोट पहुँचाना नहीं है, और कार्य करने वाले को यह ज्ञात नहीं था कि उससे ऐसी गंभीर हानि हो सकती है, तो मात्र सहमति से किया गया वह कार्य अपराध नहीं माना जाएगा।
- 1 Section 25 BNS की भाषा और आशय
- 2 Section 25 BNS का मुख्य उद्देश्य
- 3 Section 25 BNS की मुख्य विशेषताएँ
- 4 Section 25 BNS का उदाहरण (Illustration)
- 5 Section 25 BNS की व्याख्या
- 6 Section 25 BNS और “सहमति” का महत्व
- 7 Section 25 BNS से संबंधित केस लॉ (Case Laws)
- 8 Section 25 BNS पर टिप्पणियाँ (Comments)
- 9 Section 25 BNS : सीमाएँ
- 10 Section 25 BNS FAQs
- 11 निष्कर्ष
Section 25 BNS की भाषा और आशय
धारा 25 बीएनएस कहती है—
“Nothing which is not intended to cause death, or grievous hurt, and which is not known by the doer to be likely to cause death or grievous hurt, is an offence by reason of any harm which it may cause, or be intended by the doer to cause, to any person, above eighteen years of age, who has given consent, whether express or implied, to suffer that harm; or by reason of any harm which it may be known by the doer to be likely to cause to any such person who has consented to take the risk of that harm.”
अर्थात्:
यदि कोई व्यक्ति 18 वर्ष से अधिक आयु का है और उसने स्पष्ट या निहित रूप से (express or implied) किसी कार्य से होने वाली सामान्य हानि के लिए सहमति दी है, और उस कार्य का उद्देश्य मृत्यु या गंभीर चोट नहीं है, तो उस स्थिति में होने वाली हानि को अपराध नहीं माना जाएगा।
Section 25 BNS का मुख्य उद्देश्य
इस धारा का उद्देश्य है—
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सहमति का सम्मान करना।
- यह मान्यता देना कि कुछ कार्य सहमति से मनोरंजन, खेल या व्यक्तिगत कारणों से किए जाते हैं।
- कानून को इस प्रकार संतुलित करना कि सहमति से किया गया हानिरहित कार्य अपराध न बने।
- सामाजिक और कानूनी व्यवस्था में यह स्पष्ट करना कि सहमति का महत्व कितना है।
Section 25 BNS की मुख्य विशेषताएँ
- सहमति आवश्यक है – कार्य उसी स्थिति में अपराध नहीं होगा जब प्रभावित व्यक्ति ने स्पष्ट या निहित सहमति दी हो।
- आयु सीमा – सहमति देने वाला व्यक्ति 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का होना चाहिए।
- कार्य का स्वभाव – कार्य का उद्देश्य न तो मृत्यु होना चाहिए और न ही गंभीर चोट पहुँचाना।
- कर्त्ता की जानकारी – कार्य करने वाले को यह ज्ञात नहीं होना चाहिए कि उससे मृत्यु या गंभीर चोट हो सकती है।
- सीमा का निर्धारण – यदि सहमति के बावजूद कार्य मृत्यु या गंभीर चोट का कारण बनता है और यह कार्य के स्वभाव से पहले से ज्ञात था, तो यह धारा लागू नहीं होगी।
Section 25 BNS का उदाहरण (Illustration)
उदाहरण:
A और Z आपसी सहमति से खेल-खेल में तलवारबाज़ी (fencing) करते हैं। यह सहमति इस बात का संकेत है कि दोनों इस खेल में चोट लगने की संभावना को स्वीकार कर रहे हैं। खेलते समय यदि A बिना किसी अनुचित तरीके (foul play) के Z को चोट पहुँचा देता है, तो यह अपराध नहीं माना जाएगा।
Section 25 BNS की व्याख्या
धारा 25 का गहरा महत्व खेल, मनोरंजन और व्यक्तिगत गतिविधियों में है।
- खेलों में लागू होना – बॉक्सिंग, कुश्ती, तलवारबाज़ी, क्रिकेट जैसे खेलों में चोट लग सकती है। लेकिन खिलाड़ी पहले से सहमति देकर इन खेलों में भाग लेते हैं। इसलिए खेलते समय लगी सामान्य चोट को अपराध नहीं माना जाएगा।
- चिकित्सकीय दृष्टांत – यदि कोई व्यक्ति उपचार या सर्जरी के लिए डॉक्टर को सहमति देता है और ऑपरेशन के दौरान सामान्य जोखिम से चोट हो जाती है, तो यह अपराध नहीं होगा।
- सामाजिक गतिविधियाँ – उत्सवों, परंपराओं या सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सहमति का महत्व रहता है।
Section 25 BNS और “सहमति” का महत्व
कानून में सहमति (Consent) को बहुत महत्व दिया गया है। लेकिन सहमति वैध होने के लिए कुछ शर्तें होती हैं—
- सहमति स्वतंत्र रूप से दी गई हो।
- सहमति देने वाला वयस्क (18 वर्ष से ऊपर) हो।
- सहमति में धोखा या दबाव न हो।
- सहमति स्पष्ट (express) या निहित (implied) हो सकती है।
Section 25 BNS से संबंधित केस लॉ (Case Laws)
- R v. Coney (1882)
इस केस में यह निर्णय हुआ कि आपसी सहमति से की गई prize fighting (मुक्केबाज़ी) अवैध है क्योंकि उसमें गंभीर चोट या मृत्यु का खतरा होता है। - Emperor v. Mt. Dhirajia (AIR 1940 All 486)
इसमें अदालत ने कहा कि यदि सहमति के बावजूद कार्य से गंभीर चोट या मृत्यु का खतरा है और कर्ता को यह ज्ञात था, तो वह अपराध होगा। - State of Gujarat v. Mirzapur Moti Kureshi Kassab Jamat (2005)
इसमें सहमति के तत्व और उसके कानूनी महत्व पर प्रकाश डाला गया। - Indian Medical Association v. V.P. Shantha (1995)
इसमें चिकित्सा के क्षेत्र में सहमति और उसके दायरे की व्याख्या की गई।
Section 25 BNS पर टिप्पणियाँ (Comments)
- यह धारा व्यक्तिगत स्वतंत्रता को मजबूत करती है।
- यह खेलकूद और मनोरंजन के क्षेत्र में कानूनी सुरक्षा देती है।
- यह स्पष्ट करती है कि कानून व्यक्ति की सहमति का सम्मान करता है, परंतु जीवन और गंभीर चोट के जोखिम पर रोक लगाता है।
Section 25 BNS : सीमाएँ
- यदि कार्य में मृत्यु या गंभीर चोट का जोखिम है तो सहमति भी अपराध से बचाव नहीं दे सकती।
- सहमति केवल 18 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति द्वारा ही दी जा सकती है।
- सहमति केवल उन्हीं कार्यों के लिए मान्य है जिनका स्वभाव स्वाभाविक रूप से घातक नहीं है।
Section 25 BNS FAQs
प्रश्न 1: क्या 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति की सहमति मान्य है?
उत्तर: नहीं, धारा 25 के तहत केवल 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्ति की सहमति मान्य है।
प्रश्न 2: क्या बॉक्सिंग मैच में लगी चोट अपराध मानी जाएगी?
उत्तर: नहीं, क्योंकि खिलाड़ी पहले से सहमति देकर खेलते हैं और सामान्य चोट का जोखिम स्वीकार करते हैं।
प्रश्न 3: यदि किसी व्यक्ति को गंभीर चोट हो जाए तो क्या धारा 25 लागू होगी?
उत्तर: यदि गंभीर चोट का जोखिम पहले से ज्ञात था तो धारा 25 लागू नहीं होगी।
प्रश्न 4: क्या सहमति से की गई सर्जरी में हुई हानि अपराध मानी जाएगी?
उत्तर: नहीं, यदि वह सामान्य जोखिम के दायरे में है तो अपराध नहीं माना जाएगा।
प्रश्न 5: क्या सहमति किसी भी परिस्थिति में अपराध से बचाव दे सकती है?
उत्तर: नहीं, यदि कार्य मृत्यु या गंभीर चोट का कारण है और कर्ता को यह ज्ञात है, तो सहमति भी अपराध से बचाव नहीं देगी।
निष्कर्ष
Section 25 BNS यह स्पष्ट करता है कि—
- किसी व्यक्ति की स्वतंत्र सहमति से किया गया ऐसा कार्य, जिसका उद्देश्य मृत्यु या गंभीर चोट पहुँचाना नहीं है और जिसमें गंभीर खतरे की संभावना नहीं है, अपराध नहीं होगा।
- यह धारा समाज में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सहमति की अहमियत को स्थापित करती है।
- परंतु इस धारा की सीमाएँ भी हैं ताकि सहमति का दुरुपयोग करके कोई गंभीर अपराध न हो सके।
इस प्रकार, धारा 25 बीएनएस सहमति, स्वतंत्रता और सामाजिक उत्तरदायित्व के बीच एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।
2 thoughts on “Section 25 BNS Act not intended and not known to be likely to cause death or grievous hurt, done by consent.”