Section 24 BNS : विशेष आशय या ज्ञान की आवश्यकता वाले अपराध और नशा
भारत के आपराधिक न्यायशास्त्र (Criminal Jurisprudence) में नशा (Intoxication) की स्थिति को लेकर विशेष प्रावधान बनाए गए हैं। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की Section 24 BNS इस विषय को नियंत्रित करती है और यह स्पष्ट करती है कि यदि कोई अपराध ऐसा है जिसे करने के लिए विशेष आशय (intent) या ज्ञान (knowledge) आवश्यक है, और वह अपराध नशे की स्थिति में किया गया है, तो अपराधी पर वही दायित्व होगा मानो उसने यह अपराध नशे में न होकर सामान्य अवस्था में किया हो।
यह प्रावधान न्यायिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को अपने कर्मों की जिम्मेदारी से केवल इसलिए मुक्त नहीं होने देता कि वह नशे में था।
- 1 Section 24 BNS का मुख्य प्रावधान
- 2 Section 24 BNS की विशेषताएँ
- 3 Section 24 BNS का उद्देश्य
- 4 Section 24 BNS की व्याख्या
- 5 Section 24 BNS और धारा 23 BNS का अंतर
- 6 Section 24 BNS का उदाहरण (Illustration)
- 7 Section 24 BNS से संबंधित प्रमुख केस लॉ (Case Laws)
- 8 Section 24 BNS : न्यायालय की दृष्टि
- 9 Section 24 BNS : टिप्पणियाँ (Comments)
- 10 Section 24 BNS और भारतीय समाज
- 11 Section 24 BNS पर प्रश्नोत्तर (FAQ)
- 12 निष्कर्ष
Section 24 BNS का मुख्य प्रावधान
धारा 24 BNS कहती है :
“ऐसे मामलों में जहाँ कोई कृत्य अपराध नहीं बनता जब तक कि वह विशेष ज्ञान या आशय के साथ न किया गया हो, यदि वह कृत्य नशे की अवस्था में किया गया है, तो उस व्यक्ति को उसी प्रकार दंडित किया जाएगा मानो उसके पास वही ज्ञान था जो सामान्य अवस्था में होता, जब तक कि वह नशा उसकी जानकारी के बिना या उसकी इच्छा के विरुद्ध न कराया गया हो।”
Section 24 BNS की विशेषताएँ
- विशेष आशय या ज्ञान की आवश्यकता –
अपराध तभी बनेगा जब अभियुक्त के पास अपराध करने का विशेष आशय या जानकारी हो। - नशे की स्थिति का महत्व –
यदि अपराधी नशे में था, तो यह तथ्य उसे जिम्मेदारी से मुक्त नहीं करता। - कल्पित ज्ञान का सिद्धांत (Doctrine of Presumed Knowledge) –
व्यक्ति को ऐसा माना जाएगा कि उसके पास उतना ही ज्ञान था जितना सामान्य अवस्था में होता। - अपवाद (Exception) –
यदि नशा बिना जानकारी या इच्छा के विरुद्ध दिया गया है, तब अपराधी जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा।
Section 24 BNS का उद्देश्य
इस प्रावधान का मूल उद्देश्य यह है कि कोई भी व्यक्ति नशे का बहाना लेकर गंभीर अपराध से बच न सके। यदि यह धारा न होती, तो अपराधी जानबूझकर नशे का सेवन कर अपराध करने के बाद कह सकता था कि उसे अपनी जिम्मेदारी का पता ही नहीं था।
Section 24 BNS की व्याख्या
धारा 24 यह सुनिश्चित करती है कि –
- यदि अपराध ऐसा है जिसमें आशय या ज्ञान आवश्यक है (जैसे हत्या, चोरी, धोखाधड़ी), तो अभियुक्त नशे में होने पर भी दंड से नहीं बच सकता।
- यह मान लिया जाएगा कि उसे परिणामों का उतना ही ज्ञान था जितना सामान्य अवस्था में होता।
- केवल वही स्थिति अपवाद होगी जब नशा उसकी इच्छा के विरुद्ध कराया गया हो।
Section 24 BNS और धारा 23 BNS का अंतर
- धारा 23 BNS – यदि व्यक्ति नशे में होने के कारण बिल्कुल अक्षम हो गया और नशा उसकी इच्छा के विरुद्ध कराया गया, तो वह अपराधी नहीं होगा।
- धारा 24 BNS – यदि अपराध विशेष आशय या ज्ञान पर आधारित है और नशा स्वेच्छा से किया गया है, तो वह दंडनीय होगा।
Section 24 BNS का उदाहरण (Illustration)
उदाहरण 1 –
‘A’ शराब पीकर घर लौट रहा है। रास्ते में उसका ‘B’ से झगड़ा होता है। क्रोध में आकर ‘A’ चाकू निकालकर ‘B’ को घातक चोट पहुंचाता है जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है।
यहां ‘A’ यह नहीं कह सकता कि वह नशे में था और उसे समझ नहीं थी। धारा 24 BNS के अनुसार, यह माना जाएगा कि उसे अपने कृत्य का पूरा ज्ञान था।
उदाहरण 2 –
‘C’ को उसके मित्र ने झूठ बोलकर ऐसी दवा पिला दी जिसमें नशीला पदार्थ था। नशे में ‘C’ ने किसी को हल्की चोट पहुंचा दी। यहां ‘C’ को अपवाद का लाभ मिलेगा क्योंकि नशा उसकी जानकारी के बिना कराया गया था।
Section 24 BNS से संबंधित प्रमुख केस लॉ (Case Laws)
- Director of Public Prosecution v. Beard (1920)
यह अंग्रेजी कानून का प्रसिद्ध मामला है जिसमें कहा गया कि नशा केवल तभी बचाव (defense) हो सकता है जब अपराध के लिए विशेष आशय आवश्यक हो और अभियुक्त नशे के कारण वह आशय बना ही नहीं सका। - Basdev v. State of Pepsu (AIR 1956 SC 488)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि व्यक्ति ने स्वेच्छा से नशा किया है और हत्या जैसा अपराध किया है, तो वह यह नहीं कह सकता कि नशे में उसे आशय का पता नहीं था। - Maqbool Hussain v. State of Bombay
इस केस में स्पष्ट किया गया कि नशे की स्थिति अभियुक्त को जिम्मेदारी से मुक्त नहीं कर सकती जब तक नशा उसकी इच्छा के विरुद्ध न कराया गया हो।
Section 24 BNS : न्यायालय की दृष्टि
भारतीय न्यायालय बार-बार यह दोहराते आए हैं कि नशा किसी गंभीर अपराध में बचाव नहीं है। नशे की हालत में भी व्यक्ति को अपने कृत्य का दायित्व उठाना ही होगा।
Section 24 BNS : टिप्पणियाँ (Comments)
- यह धारा सामाजिक उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करती है।
- अपराधी को अपने कर्मों के लिए जिम्मेदार ठहराना ही न्याय का आधार है।
- यदि नशे को बचाव बना दिया जाए तो समाज में अराजकता फैल जाएगी।
Section 24 BNS और भारतीय समाज
भारतीय समाज में शराब और नशे का प्रभाव बढ़ रहा है। कई अपराध नशे की अवस्था में होते हैं, विशेषकर –
- घरेलू हिंसा
- सड़क दुर्घटनाएँ
- हत्या एवं मारपीट
- यौन अपराध
धारा 24 BNS ऐसे मामलों में कानून को मजबूत आधार देती है।
Section 24 BNS पर प्रश्नोत्तर (FAQ)
प्रश्न 1: क्या नशे में किया गया अपराध क्षम्य है?
उत्तर: नहीं, यदि नशा स्वेच्छा से किया गया है तो अपराध क्षम्य नहीं है।
प्रश्न 2: क्या नशे की स्थिति में हत्या पर वही दंड होगा जो सामान्य अवस्था में होता?
उत्तर: हाँ, धारा 24 BNS के अनुसार वही दंड मिलेगा।
प्रश्न 3: यदि नशा इच्छा के विरुद्ध कराया गया हो तो क्या होगा?
उत्तर: ऐसी स्थिति में अभियुक्त को अपवाद का लाभ मिलेगा और वह दोषमुक्त हो सकता है।
प्रश्न 4: क्या सड़क दुर्घटना में शराब पीकर वाहन चलाना धारा 24 के अंतर्गत आता है?
उत्तर: हाँ, क्योंकि यह जान-बूझकर किया गया नशा है और इससे अपराध की जिम्मेदारी कम नहीं होगी।
निष्कर्ष
Section 24 BNS यह सुनिश्चित करती है कि नशे को अपराध से बचने का साधन न बनाया जाए। यदि कोई अपराध विशेष आशय या ज्ञान पर आधारित है और वह नशे में किया गया है, तो व्यक्ति उसी प्रकार उत्तरदायी होगा जैसे वह सामान्य अवस्था में होता।
इससे न्यायालय और समाज दोनों यह संदेश देते हैं कि –
नशा अपराध की जिम्मेदारी से मुक्त नहीं करता, बल्कि अपराध को और गंभीर बना देता है।
1 thought on “Section 24 BNS Offence requiring a particular intent or knowledge committed by one who is intoxicated.”