Section 20 BNS Act of a childunder sevenyears of age.

परिचय : Section 20 BNS की भूमिका

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह ली है। इसमें अपराध और दंड से जुड़े प्रावधानों को आधुनिक समय की आवश्यकताओं के अनुसार पुनर्लिखित किया गया है। Section 20 BNS एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो बच्चों से संबंधित अपराध की जिम्मेदारी को परिभाषित करता है। इसमें कहा गया है कि—

“कुछ भी अपराध नहीं है, यदि वह सात वर्ष से कम आयु के बच्चे द्वारा किया गया हो।”

इस सिद्धांत को सामान्य भाषा में “Doli Incapax” कहा जाता है, जिसका अर्थ है— बच्चा अपराध करने की क्षमता से रहित है।

Section 20 BNS का शाब्दिक अर्थ

See This :- Section 19 BNS Act likely to cause harm, but done without criminal intent, and to prevent other harm.

  • “Nothing is an offence which is done by a child under seven years of age.”
    इसका सीधा आशय है कि कानून यह मानता है कि सात वर्ष से कम आयु का बच्चा यह समझने में सक्षम नहीं होता कि उसका कार्य अपराध है या नहीं।
Section 20 BNS
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Section 20 BNS की पृष्ठभूमि

यह प्रावधान पुराने IPC की धारा 82 से लिया गया है। दंड विधि का यह सिद्धांत इस धारणा पर आधारित है कि—

  1. अपराध के लिए Mens Rea (अपराध करने का मानसिक तत्व/आपराधिक मंशा) आवश्यक है।
  2. सात वर्ष से कम आयु के बच्चों में Mens Rea विकसित नहीं होता।
  3. इस आयु के बच्चे निर्दोष होते हैं और केवल परिपक्वता की कमी से वे कार्य करते हैं।

Section 20 BNS का उद्देश्य

  • बच्चों को अनुचित आपराधिक कार्यवाही से बचाना।
  • यह सुनिश्चित करना कि न्याय प्रणाली बालकों को अपराधी के रूप में न देखे, बल्कि उन्हें शिक्षा और सुधार के दृष्टिकोण से देखे।
  • यह स्वीकार करना कि बाल मनोविज्ञान और वयस्क मानसिकता में अंतर होता है।

Section 20 BNS का दायरा

  • यह धारा केवल उन बच्चों पर लागू होगी जिनकी आयु 7 वर्ष से कम है।
  • यदि बच्चा 7 वर्ष या उससे अधिक लेकिन 12 वर्ष से कम है, तो उस पर Section 21 BNS लागू होगा, जिसमें मनोवैज्ञानिक परिपक्वता पर विचार किया जाएगा।
  • 12 वर्ष से ऊपर के बच्चे सामान्य कानून के तहत जिम्मेदार ठहराए जा सकते हैं, परन्तु Juvenile Justice Act, 2015 की सुरक्षा उन्हें मिलती है।

Illustration (उदाहरण) : Section 20 BNS

  1. उदाहरण 1:
    6 वर्षीय बच्चा खेलते-खेलते किसी की खिड़की का काँच तोड़ देता है। यह कार्य हानि पहुँचाता है, लेकिन यह अपराध नहीं माना जाएगा, क्योंकि बच्चे की आयु सात वर्ष से कम है।
  2. उदाहरण 2:
    5 वर्षीय बच्चा दुकान से खिलौना उठा लेता है। चोरी करने का इरादा साबित नहीं किया जा सकता, इसलिए यह अपराध नहीं है।
  3. उदाहरण 3:
    6 वर्षीय बच्चा गलती से किसी को चोट पहुँचा देता है। यह भी अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा।

Section 20 BNS और भारतीय न्यायपालिका

भारतीय न्यायालयों ने कई मामलों में इस सिद्धांत की पुष्टि की है।

महत्वपूर्ण केस लॉ

  1. Marimuthu vs State (Madras High Court, 1995)
    • अदालत ने कहा कि 7 वर्ष से कम आयु का बच्चा किसी भी परिस्थिति में दंडनीय नहीं हो सकता, चाहे कार्य कितना भी गंभीर क्यों न हो।
  2. Hiralal Mallick v. State of Bihar (1977 AIR 2236, SC)
    • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि बच्चों पर आपराधिक मंशा (Mens Rea) साबित करना कठिन होता है, इसलिए कानून ने उन्हें सुरक्षा दी है।
  3. Keshava Pillai v. State of Kerala (1981 CrLJ 425)
    • अदालत ने दोहराया कि 7 वर्ष से कम बच्चे के लिए absolute immunity (पूर्ण सुरक्षा) है।

Section 20 BNS का अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण

  • इंग्लैंड का कानून: वहाँ भी Doli Incapax का सिद्धांत है।
  • संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन (UNCRC, 1989): इसमें कहा गया है कि बच्चों को अपराधी नहीं माना जाना चाहिए बल्कि सुधार और पुनर्वास की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए।
  • भारत में: इस सिद्धांत को Section 20 BNS और किशोर न्याय अधिनियम द्वारा संरक्षित किया गया है।

Section 20 BNS और Mens Rea

कानून यह मानता है कि:

  • अपराध के लिए मानसिक तत्व (Mens Rea) आवश्यक है।
  • सात वर्ष से कम आयु का बच्चा Mens Rea समझने में सक्षम नहीं है।
  • इसलिए बच्चे के कार्य को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

Section 20 BNS और Juvenile Justice Act

हालाँकि 7 वर्ष से कम बच्चे पर कोई मामला नहीं बन सकता, परंतु Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015 उनके अधिकारों और सुधारात्मक देखभाल की दिशा में प्रावधान करता है।

Section 20 BNS पर आलोचना

कुछ विद्वानों का मत है कि—

  • वर्तमान समय में बच्चों की परिपक्वता पहले से अधिक तेजी से हो रही है।
  • तकनीकी युग में कई बार 6 वर्षीय बच्चे भी जान-बूझकर गंभीर कार्य कर सकते हैं।
  • इसलिए आयु सीमा की समीक्षा की आवश्यकता है।

Section 20 BNS : निष्कर्ष

यह धारा न्यायिक प्रणाली में मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती है। कानून यह मानता है कि सात वर्ष से कम आयु के बच्चों को अपराधी मानना न केवल अन्यायपूर्ण होगा, बल्कि उनके सर्वांगीण विकास में बाधक भी होगा।

FAQs : Section 20 BNS

प्रश्न 1: Section 20 BNS किस बारे में है?
उत्तर: यह धारा कहती है कि सात वर्ष से कम आयु के बच्चे द्वारा किया गया कोई भी कार्य अपराध नहीं माना जाएगा।

प्रश्न 2: क्या 6 साल का बच्चा चोरी करने पर दोषी माना जाएगा?
उत्तर: नहीं, क्योंकि कानून मानता है कि इस आयु में बच्चा आपराधिक मंशा नहीं समझता।

प्रश्न 3: क्या यह धारा 7 से 12 वर्ष के बच्चों पर भी लागू होती है?
उत्तर: नहीं, उन पर Section 21 BNS लागू होता है, जिसमें परिपक्वता की जाँच की जाती है।

प्रश्न 4: क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह सिद्धांत मान्य है?
उत्तर: हाँ, अधिकांश देशों में Doli Incapax का सिद्धांत मान्यता प्राप्त है।

प्रश्न 5: यदि सात वर्ष से कम बच्चा किसी को गंभीर चोट पहुँचा दे तो क्या होगा?
उत्तर: उस पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलेगा, लेकिन अभिभावकों को जिम्मेदारी लेनी होगी।

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