परिचय of Section 18 BNS
Section 18 BNS — जिसका मूल प्रावधान भारत के प्रचलित आपराधिक कानून में पूर्व में धारा 80 (IPC) के रूप में मिलता था — इस सिद्धांत का संक्षेप है कि हर अनपेक्षित हानिकारक परिणाम अपराध नहीं बनता यदि कृत्य वैध था, वैध तरीके से किया गया हो, और कर्ता ने उचित सावधानी बरती हो। सरल शब्दों में: अगर कोई व्यक्ति किसी वैध क्रिया को करने के दौरान दुर्घटनावश किसी अन्य के शरीर को हानि पहुंचा देता है और उस समय उसमें कोई आपराधिक इरादा या जानकारी नहीं थी तथा उसने पूरी सावधानी रखी थी, तो वह दण्डनीय नहीं माना जाएगा।
- 1 Section 18 BNS — प्रावधान का शब्दश: अर्थ
- 2 Section 18 BNS के तत्व (Essential Ingredients)
- 3 व्याख्या और व्यवहारिक अर्थ
- 4 उदाहरण (Illustration)
- 5 Section 18 BNS और देयता (Criminal vs Civil Liability)
- 6 Section 18 BNS के सीमाएँ और अपवाद
- 7 संबंधित न्यायालयीन दृष्टांत (Case Laws) — चयनित उद्धरण (संक्षेप)
- 8 Section 18 BNS कब लागू होती है? (Checklist)
- 9 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) — हिंदी में
- 10 न्यायालयों की टिप्पणियाँ और व्यावहारिक सुझाव (Apex Court Comments & Practical Guidance)
- 11 निष्कर्ष
Section 18 BNS — प्रावधान का शब्दश: अर्थ
Section 18 BNS का मूल पाठ इस प्रकार है:
“कुछ भी अपराध नहीं है जो दुर्घटना या दुर्भाग्य से किया गया हो, और किसी भी आपराधिक इरादे या ज्ञान के बिना, जब वह वैध कृत्य वैध तरीके से, वैध साधनों द्वारा और उचित देखभाल एवं सावधानी के साथ किया गया हो।”
इस प्रावधान में मुख्य भाग हैं:
- दुर्घटना या दुर्भाग्य (Accident or Misfortune): कृत्य अन्वेषणीय रूप से आकस्मिक होना चाहिए — न कि किसी जानबूझकर, अवैध या अपराधमयी उद्देश्य से किया गया।
- आपराधिक इरादा/ज्ञान का अभाव (No criminal intention or knowledge): कर्ता के मन में किसी भी प्रकार का दोषपूर्ण मनोविज्ञान नहीं होना चाहिए।
- वैध कृत्य (Lawful act): जिस कृत्य के दौरान दुर्घटना हुई वह अपने आप में वैध होना चाहिए — न कि अवैध कृत्य।
- वैध तरीका एवं साधन (Lawful manner and means): कृत्य का तरीका और उपयोग किए गए साधन कानूनी दायरे में होने चाहिए।
- उचित देखभाल और सावधानी (Proper care and caution): कर्ता ने जो सावधानी बरती वह उस परस्थिति और कृत्य के अनुरूप उपयुक्त होनी चाहिए।
Section 18 BNS के तत्व (Essential Ingredients)
धारा 18 के तहत रक्षा (defence) प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित तत्व सिद्ध होने चाहिए:
- कृत्य वैध होना चाहिए। जैसे कि किसी औद्योगिक क्रिया, खेती, रक्षक काम इत्यादि।
- कृत्य वैध तरीके से किया गया हो। उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति का वैध रूप से हथियार का प्रयोग अपने काम के लिए कर रहा होना।
- करता ने उचित सावधानी और चेतावनी बरती हो। देखभाल की परिभाषा परिस्थिति अनुसार बदलती है — जानवरों, मशीनों, हथियारों आदि के साथ काम करते समय अपेक्षित सतर्कता अधिक होती है।
- मानव-इरादा या ज्ञान का अभाव। यदि कर्ता जानबूझकर जोखिम उठाता है या इरादतन उपेक्षा करता है, तो यह रक्षा समाप्त हो जाती है।
व्याख्या और व्यवहारिक अर्थ
Section 18 BNS का उद्देश्य सामान्य न्याय का सिद्धांत लागू करना है — कानून का इरादा केवल उन कर्मों को दण्डित करना है जिनमें दोषपूर्ण मनोदशा (mens rea) या अज्ञान नहीं बल्कि लापरवाही/इच्छित कदाचार हो। यह रक्षा उन स्थितियों में लागू होती है जहाँ किसी भी प्रकार की आश्चर्यजनक या अनचाही घटना हुई हो और आरोपी ने सामान्यतः जो ध्यान रखना चाहिए था वह रखा हो।
उदाहरण के तौर पर, यदि किसी काष्ठ उद्योग में काम करते हुए एक कुल्हाड़ी का सिर अचानक उड़कर किसी के ऊपर गिर जाता है और मृत्यु हो जाती है, तो यदि यह साबित किया जा सके कि कुल्हाड़ी की मरम्मत ठीक की गई थी, कर्मी ने सावधानी रखी थी और कोई उपेक्षा नहीं हुई — तो यह धारा 18 के दायरे में आ सकता है। किंतु यदि कुल्हाड़ी जर्जर अवस्था में थी और मरम्मत करने की उपेक्षा की गई थी, तो Section 18 BNS लागू नहीं होगी।
उदाहरण (Illustration)
Illustration (परिचयात्मक उदाहरण):
A अपने कार्यस्थल पर कुल्हाड़ी (hatchet) से काम कर रहा है। अचानक कुल्हाड़ी का सिर उड़कर पास खड़े व्यक्ति B को लग जाता है और वह मर जाता है। यदि यह सिद्ध हो कि A ने उचित सावधानी बरती थी और कुल्हाड़ी की मरम्मत की हुई थी तथा कोई लापरवाही नहीं थी, तो A का कृत्य अपराध नहीं माना जाएगा। यह वही उदाहरण है जो भारतीय कानून की पारंपरिक नोटेशन में दिया गया है और Section 18 BNS (पूर्व में IPC की धारा 80) में भी प्रयोग होता है।
Section 18 BNS और देयता (Criminal vs Civil Liability)
Section 18 BNS केवल आपराधिक दायरे से रक्षा प्रदान करती है। अर्थात्, एक कृत्य जो अपराधिक दायरे में दोषारोपण से छूट देता है, उससे नागरिक (civil) देयता समाप्त नहीं होती। यदि किसी दुर्घटना में लापरवाही का कोई तत्व प्रमाणित होता है, तो नागरिक मुक़दमे (जैसे दंडात्मक मुआवजा, टॉर्ट या संविदानुसार दायित्व) दायर किए जा सकते हैं। इसलिए Section 18 BNS का प्रभाव केवल सजा (punitive criminal liability) पर ही होगा — मुआवजे की मांग पर इसका सीधा प्रभाव नहीं।
Section 18 BNS के सीमाएँ और अपवाद
- लापरवाही या जघन्य असावधानी (Negligence/Rashness): यदि क्रिया में कोई आपराधिक प्रकार की लापरवाही या नासमझी सिद्ध होती है, तो धारा 18 लागू नहीं होगी।
- अवैध कृत्य: यदि मूल कृत्य ही अवैध था, तो दुर्घटना होने पर Section 18 BNS की रक्षा नकार दी जाएगी।
- जानबूझकर जोखिम उठाना: जहाँ कर्ता जानबूझकर जोखिम उठाता है और परिणाम की सम्भावना जानता है, वह रक्षा से वंचित रहेगा।
संबंधित न्यायालयीन दृष्टांत (Case Laws) — चयनित उद्धरण (संक्षेप)
नीचे कुछ महत्वपूर्ण संघर्षों और निर्णयों का संक्षेप दिया जा रहा है जो इस विषय पर रोशनी डालते हैं — (नोट: ये निर्णय व्यापक हैं; नीचे केवल संक्षेप और विषयगत सार दिया गया है):
- State v. Rangaswamy (AIR 1952 Nag 268) — इस मामले में न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि कृत्य वास्तव में दुर्घटना के स्वरूप का है और कर्ता ने उचित सावधानी बरती थी, तो Section 18 BNS/80 के तहत रक्षा मिल सकती है।
- Bhupendra Sinha Choudasama v. State of Gujarat (उल्लेखनीय उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट संदर्भ) — इस प्रकार के मामलों में अदालतों ने कहा है कि यदि कृत्य जानबूझकर और बिना सावधानी के किया गया हो तो Section 18 BNSकी रक्षा उपलब्ध नहीं है।
- Atmendra v. State of Karnataka (AIR 1998 SC 1985) — तात्पर्य यह है कि केवल “दुर्घटना” का दावा पर्याप्त नहीं है; अभियुक्त को यह सिद्ध करना होता है कि उसने वैध तरीके, वैध साधन और उचित सावधानी बरती थी।
ध्यान दें: यहां दिए गए मामलों के नाम और संक्षेप का उद्देश्य विषयात्मक समझ देना है। विस्तृत केस-लॉ के उद्धरण और पूर्ण आदेशों के संदर्भ के लिए आधिकारिक न्यायलयिक डेटाबेस और आदेश देखें।
Section 18 BNS कब लागू होती है? (Checklist)
यदि आप यह मूल्यांकन करना चाहते हैं कि क्या धारा 18 लागू हो सकती है, तो निम्न बातों का परीक्षण करें:
- क्या कृत्य वैध था?
- क्या उसका तरीका और साधन वैध थे?
- क्या कर्ता ने उस परिस्थिति में अपेक्षित उचित सावधानी बरती?
- क्या कोई आपराधिक इरादा/ज्ञान सिद्ध नहीं किया जा सका?
- क्या घटना वास्तव में आकस्मिक और अनपेक्षित थी?
यदि उपर्युक्त उत्तर हाँ हैं, तो धारा 18 का आसार काफी मजबूत रहता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) — हिंदी में
Q1: क्या Section 18 BNS के अंतर्गत हर दुर्घटना अपराध से मुक्त कर देगी? A: नहीं। केवल वही घटनाएँ जिनमें कर्ता ने वैध कृत्य किया, वैध तरीका अपनाया और उचित सावधानी रखी हो — तभी Section 18 BNS लागू होगी। जानबूझकर गलतियाँ, लापरवाही या अवैध कृत्य इस रक्षा से बाहर हैं।
Q2: क्या Section 18 BNS से नागरिक मुआवजे की माँग नहीं की जा सकती? A: Section 18 BNS केवल आपराधिक देयता से रक्षा देती है। नागरिक मुआवजे के दावे अलग जुड़े हो सकते हैं और वे प्रभावित नहीं होते जब तक कि सिविल कोर्ट में लापरवाही सिद्ध न हो।
Q3: क्या सहमति (consent) से हुए नुकसान पर यह धारा लागू होती है? A: सहमति के मामलों में (जैसे खेल) यदि दोनों पक्षों ने जोखिम स्वीकार किया है और चोट आकस्मिक है, तो Section 18 BNS का हवाला दिया जा सकता है; परंतु उचित सावधानी का परीक्षण जरूरी रहेगा।
Q4: क्या मशीनों या औद्योगिक दुर्घटनाओं में धारा 18 रक्षा देती है? A: हो सकता है — पर निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा कि उपकरणों की रख-रखाव की जिम्मेदारी किस पर थी और क्या उचित सुरक्षा उपाय अपनाए गए थे।
Q5: Section 18 BNS और धारा 19 (BNS) — क्या संबंध है? A: धारा 18 सामान्य अपवादों में से एक है। धारा 19 (या IPC में समकक्ष धाराएँ) संबंधित स्थितियों जैसे कि हानि की आशंका होते हुए भी भलमनसाहत उद्देश्य से किये गए कृत्यों को कवर करती हैं। हर प्रावधान का दायरा अलग है।
न्यायालयों की टिप्पणियाँ और व्यावहारिक सुझाव (Apex Court Comments & Practical Guidance)
सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि Section 18 BNS किसी भी दायरे में “स्वचालित रिलीफ़” नहीं है। अदालतें तथ्यों और परिस्थिति के अनुरूप सावधानी, उपकरणों के रखरखाव, कर्ता की योग्यता, जोखिम की स्वीकृति तथा कृत्य के वैधपन की विस्तृत तलाशी करती हैं।
व्यावहारिक सुझाव:
- उद्योगों और कार्यस्थलों पर नियमित निरीक्षण और उपकरणों की मरम्मत-रखवाली अनिवार्य रखें।
- जोखिमपूर्ण कार्यों के लिए प्रशिक्षण और सुरक्षा निर्देश स्पष्ट रखें।
- दुर्घटनाओं के बाद तात्कालेक दस्तावेजीकरण रखें — घटना का समय, स्थिति, उपस्थिति, और उठाए गए कदम आदि।
- यदि आप पर आपराधिक आरोप लगते हैं, तो प्रमाण जुटाने में शीघ्रता बरतें: निगरानी फुटेज, गवाहियाँ, रखरखाव रिकॉर्ड आदि।
निष्कर्ष
Section 18 BNS का मूल उद्देश्य न्याय का संतुलन बनाए रखना है — यह सुनिश्चित करना कि वे व्यक्ति जो वैध गतिविधियों को करते समय बिना किसी आपराधिक मनोदशा के आकस्मिक रूप से हानि पहुँचा देते हैं, उन्हें आपराधिक दंड से आंशिक या पूर्ण राहत मिल सके। परन्तु यह रक्षा केवल तभी लागू होती है जब कर्ता ने उचित सावधानी रखी हो और कृत्य स्वयं वैध हो।
कानून की व्याख्या तथ्य-आधारित है — इसलिए किसी भी वास्तविक घटना में Section 18 BNS के लाभ का निर्धारण अदालत द्वारा किए गए तर्क, सबूत और गवाहियों के आलोक में होगा।
1 thought on “Section 18 BNS Accident in doing a lawful act.”