प्रस्तावना
भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) 2023, भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लागू की गई है। इसका उद्देश्य दंड विधि को अधिक सरल, आधुनिक और भारत की सामाजिक-कानूनी परिस्थितियों के अनुरूप बनाना है। इस संहिता की Section 14 BNS का संबंध उन कार्यों से है जो किसी व्यक्ति द्वारा इस विश्वास में किए जाते हैं कि वह कानून द्वारा बाध्य (Bound by Law) है या किसी तथ्य की भूल (Mistake of Fact) के कारण उसने स्वयं को बाध्य माना।
सरल शब्दों में, यदि कोई व्यक्ति कानूनी कर्तव्य समझकर कोई काम करता है, तो उसे अपराध नहीं माना जाएगा, बशर्ते कि उसका कार्य सद्भावना (Good Faith) में हो और कानून की भूल नहीं बल्कि तथ्य की भूल के कारण हुआ हो।
- 1 धारा 14 BNS का प्रावधान ( Provision of Section 14 BNS )
- 2 Section 14 BNS की मुख्य विशेषताएँ
- 3 Section 14 BNS के उदाहरण (Illustrations)
- 4 Section 14 BNS और “Mistake of Fact vs. Mistake of Law”
- 5 न्यायालय के प्रमुख निर्णय ( Case Laws on Section 14 BNS )
- 6 Section 14 BNS का महत्व
- 7 व्यावहारिक दृष्टिकोण (Practical Perspective)
- 8 Section 14 BNS और भारतीय संविधान
- 9 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- 10 निष्कर्ष
धारा 14 BNS का प्रावधान ( Provision of Section 14 BNS )
“Nothing is an offence which is done by a person who is, or who by reason of a mistake of fact and not by reason of a mistake of law in good faith believes himself to be, bound by law to do it.”
Check Out :- Section 13 BNS Enhanced Punishment for Certain Offences after Previous Conviction
अर्थात—
- यदि कोई व्यक्ति वास्तव में कानून द्वारा बाध्य है और उसी कारण से कोई कार्य करता है, तो वह अपराध नहीं होगा।
- यदि कोई व्यक्ति तथ्य की भूल (Mistake of Fact) में यह मान लेता है कि वह कानून द्वारा बाध्य है और उसी विश्वास में कार्य करता है, तो भी अपराध नहीं माना जाएगा।
- लेकिन यदि वह कानून की भूल (Mistake of Law) के कारण कार्य करता है, तो उसे छूट नहीं मिलेगी।
Section 14 BNS की मुख्य विशेषताएँ
1. बाध्यता (Bound by Law)
यदि व्यक्ति को किसी आदेश, नियम या प्राधिकरण के तहत कोई कार्य करना अनिवार्य है, तो वह अपराध नहीं होगा।
2. तथ्य की भूल (Mistake of Fact)
यदि व्यक्ति ने किसी परिस्थिति को गलत समझकर यह विश्वास किया कि वह कानून द्वारा बाध्य है, तो भी उसे दंडित नहीं किया जाएगा।
3. कानून की भूल (Mistake of Law) नहीं चलेगी
यदि कोई व्यक्ति कानून को सही से न समझ पाने या उसकी जानकारी न होने के कारण अपराध करता है, तो यह धारा उसकी रक्षा नहीं करेगी।
4. सद्भावना (Good Faith) आवश्यक
व्यक्ति का कार्य ईमानदारी और उचित सावधानी के साथ किया गया होना चाहिए।
Section 14 BNS के उदाहरण (Illustrations)
- सैनिक का आदेशपालन
यदि एक सैनिक को उसके वरिष्ठ अधिकारी द्वारा दंगा कर रही भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दिया जाता है और वह कानून के अनुसार आदेश का पालन करता है, तो सैनिक अपराधी नहीं होगा। - अदालत के आदेश पर गिरफ्तारी
यदि किसी न्यायालय का अधिकारी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का आदेश पाता है और तथ्य की भूल से गलत व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेता है, तो यह अपराध नहीं माना जाएगा।
Section 14 BNS और “Mistake of Fact vs. Mistake of Law”
तथ्य की भूल (Mistake of Fact)
- परिस्थिति को गलत समझना।
- उदाहरण: पुलिस अधिकारी ने A को B समझकर गिरफ्तार किया।
कानून की भूल (Mistake of Law)
- कानून को गलत समझना।
- उदाहरण: कोई व्यक्ति सोचता है कि चोरी करना अपराध नहीं है और चोरी करता है। उसे धारा 14 का संरक्षण नहीं मिलेगा।
न्यायालय के प्रमुख निर्णय ( Case Laws on Section 14 BNS )
1. State of West Bengal v. Shew Mangal Singh (AIR 1981 SC 1917)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अदालत के आदेश का पालन करता है, तो उसे अपराध का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
2. Chirangi v. State of M.P. (1952 SCR 612)
इस केस में आरोपी ने तथ्य की भूल में कार्य किया था। न्यायालय ने माना कि यदि आरोपी को सद्भावना में विश्वास हो कि वह कानून का पालन कर रहा है, तो अपराध नहीं होगा।
3. Keshava Menon v. State of Bombay (AIR 1951 SC 128)
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि “Ignorance of Law is no excuse” – कानून की अज्ञानता अपराध से बचाव नहीं दे सकती।
Section 14 BNS का महत्व
- न्यायिक संतुलन बनाए रखना – यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि कानून का पालन करने वाले व्यक्ति को अनावश्यक दंड न मिले।
- प्रशासनिक अधिकारी व सैनिकों की सुरक्षा – कई बार आदेशपालन में कार्य करना पड़ता है, यह धारा उन्हें सुरक्षा देती है।
- सद्भावना को मान्यता – यदि व्यक्ति ने सच्ची नीयत से कार्य किया है तो उसे अपराधी न माना जाए।
व्यावहारिक दृष्टिकोण (Practical Perspective)
- पुलिस अधिकारी कई बार गलत पहचान के कारण निर्दोष को गिरफ्तार कर लेते हैं। यदि यह सद्भावना और तथ्य की भूल से हुआ है, तो अधिकारी Section 14 BNS के तहत सुरक्षित रहेंगे।
- सैनिक यदि सरकार या उच्चाधिकारी के आदेश का पालन करते हैं और वह आदेश कानून सम्मत है, तो उन पर कोई अपराध सिद्ध नहीं होगा।
- लेकिन यदि आदेश अवैध हो, तो Section 14 BNS का संरक्षण नहीं मिलेगा।
Section 14 BNS और भारतीय संविधान
- अनुच्छेद 20 – अपराधों के लिए दंड केवल उन्हीं कार्यों पर होगा जिन्हें कानून अपराध घोषित करता है।
- अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार।
Section 14 BNS इन्हीं संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करती है कि बिना अपराध की मंशा (mens rea) वाले कार्य को अपराध न माना जाए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. क्या कानून की भूल (Mistake of Law) पर भी Section 14 BNS लागू होती है?
उत्तर: नहीं, Section 14 BNS केवल तथ्य की भूल (Mistake of Fact) पर लागू होती है।
Q2. क्या सैनिक या पुलिसकर्मी किसी भी आदेश का पालन कर सकते हैं?
उत्तर: केवल वही आदेश जो कानून के अनुसार हों। यदि आदेश अवैध है, तो Section 14 BNS का लाभ नहीं मिलेगा।
Q3. यदि किसी व्यक्ति ने गलत पहचान में किसी को गिरफ्तार किया, तो क्या वह अपराध है?
उत्तर: यदि यह सद्भावना में और तथ्य की भूल से हुआ है, तो यह अपराध नहीं माना जाएगा।
Q4. क्या आम नागरिक भी Section 14 BNS का लाभ ले सकते हैं?
उत्तर: हाँ, यदि आम नागरिक सद्भावना में तथ्य की भूल के कारण स्वयं को कानून द्वारा बाध्य समझता है, तो वह इस धारा का लाभ ले सकता है।
Q5. Section 14 BNS का IPC में कौन-सा समान प्रावधान था?
उत्तर: यह धारा IPC की Section 76 और Section 79 से मिलती-जुलती है।
निष्कर्ष
धाSection 14 BNS इस सिद्धांत पर आधारित है कि—
- “actus non facit reum nisi mens sit rea” अर्थात केवल कार्य से अपराध नहीं होता, बल्कि अपराधी मनोभाव भी आवश्यक है।
- यदि कोई व्यक्ति कानून के आदेश का पालन करता है या तथ्य की भूल में यह विश्वास करता है कि वह बाध्य है, तो उसे अपराधी नहीं ठहराया जाएगा।
यह धारा न्याय और निष्पक्षता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।
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