प्रस्तावना of Section 13 BNS
भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) का उद्देश्य भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) को अधिक व्यावहारिक, समयानुकूल और सरल रूप में प्रस्तुत करना है। इसी कड़ी में धारा 13 BNS ( Section 13 BNS ) उन अपराधों से संबंधित है, जहाँ किसी अपराधी ने पहले भी अपराध किया हो और पुनः वही या उसी प्रकार का अपराध करने पर कठोर दंड का प्रावधान रखा गया है।
यह प्रावधान न्याय व्यवस्था में अनुशासन और निवारक प्रभाव (deterrent effect) को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
Section 13 BNS का प्रावधान
Section 13 BNS कहता है:
- यदि कोई व्यक्ति भारत की किसी अदालत द्वारा अध्याय X (Chapter X – सार्वजनिक शांति भंग से संबंधित अपराध) या अध्याय XVII (Chapter XVII – संपत्ति से संबंधित अपराध) के अंतर्गत किसी अपराध के लिए तीन वर्ष या उससे अधिक की कैद की सजा पा चुका है,
- और वही व्यक्ति पुनः इन अध्यायों में से किसी अपराध को करता है,
- तो उसे आजीवन कारावास (Imprisonment for Life) अथवा अधिकतम दस वर्ष तक का कारावास और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
See Also :- Section 12 BNS Limit of solitary confinement.
Section 13 BNS का उद्देश्य
- पुनः अपराध को रोकना – Habitual offenders (आवर्ती अपराधियों) पर कठोर दंड का प्रावधान कर उन्हें अपराध दोहराने से रोका जा सके।
- न्याय व्यवस्था की गंभीरता – समाज में यह संदेश देना कि बार-बार अपराध करने वालों को अधिक सख्त सजा मिलेगी।
- जनहित की रक्षा – सार्वजनिक शांति और संपत्ति संबंधी अपराधों पर नियंत्रण सुनिश्चित करना।
अध्याय X और अध्याय XVII के अपराध
(a) Chapter X – सार्वजनिक शांति से संबंधित अपराध
- दंगा (Rioting)
- अवैध जमाव (Unlawful Assembly)
- लोक सेवक का कार्य बाधित करना
- लोक व्यवस्था भंग करना
(b) Chapter XVII – संपत्ति से संबंधित अपराध
- चोरी (Theft)
- डकैती (Dacoity)
- लूट (Robbery)
- आपराधिक न्यासभंग (Criminal Breach of Trust)
- धोखाधड़ी (Cheating)
यदि कोई व्यक्ति पहले इन अपराधों में दोषी पाया गया है और बाद में पुनः इन्हीं प्रकार के अपराध करता है तो Section 13 BNS लागू होगा।
Section 13 BNS का महत्व
- यह प्रावधान उन अपराधियों के खिलाफ है जो आदतन अपराधी (Habitual Offenders) होते हैं।
- न्यायालय को यह अधिकार मिलता है कि वह ऐसे अपराधियों पर कठोर दंड लगाकर समाज को सुरक्षित रख सके।
- यह कानून निवारक (Preventive) और दंडात्मक (Punitive) दोनों स्वरूपों को दर्शाता है।
संबंधित न्यायिक दृष्टांत (Case Laws)
हालाँकि Section 13 BNS नया प्रावधान है, लेकिन इसका आधार IPC की धारा 75 (IPC Section 75 – Enhanced Punishment for Certain Offences under IPC) से लिया गया है। भारतीय न्यायालयों ने कई मामलों में Habitual Offenders पर कड़ी टिप्पणी की है।
- Gopal Vinayak Godse v. State of Maharashtra (1961 AIR 600, SC)
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि Habitual Offenders को कठोर सजा देना आवश्यक है ताकि समाज में अपराध का भय बना रहे।
- State of Maharashtra v. Najakat Alia Mubarak Ali (2001)
- न्यायालय ने स्पष्ट किया कि बार-बार अपराध करने वालों पर कठोर सजा उचित है।
- Ramesh Kumar v. State of Punjab (1994)
- अदालत ने कहा कि पुनः अपराधी के लिए कठोर सजा समाज की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
Section 13 BNS और IPC की तुलना
पहलू | IPC धारा 75 | Section 13 BNS |
---|---|---|
लागू होने का क्षेत्र | केवल Habitual Offenders पर | Habitual Offenders पर, विशेष रूप से Chapter X और XVII के अपराधों पर |
सजा | आजीवन कारावास या 10 साल तक | आजीवन कारावास या 10 साल तक |
आधुनिकता | 1860 का प्रावधान | 2023 में नया एवं स्पष्ट प्रावधान |
Section 13 BNS के लाभ
- Habitual criminals पर नियंत्रण।
- पीड़ितों को न्याय की गारंटी।
- समाज में अपराध के भय को कम करना।
- न्यायपालिका को अधिक शक्तियाँ प्रदान करना।
आलोचना
- कभी-कभी छोटे अपराधों में भी Habitual Offender टैग लग सकता है।
- सुधारात्मक न्याय (Reformative Justice) की जगह दंडात्मक न्याय (Punitive Justice) पर अधिक ध्यान।
- न्यायालय पर अधिक विवेकाधिकार होने से दुरुपयोग की संभावना।
निष्कर्ष
Section 13 BNS का उद्देश्य स्पष्ट है – आदतन अपराधियों को कठोर सजा देना। यह प्रावधान भारतीय न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाता है और समाज को सुरक्षित रखने में सहायक है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1. Section 13 BNS किन अपराधों पर लागू होता है?
यह प्रावधान Chapter X (सार्वजनिक शांति) और Chapter XVII (संपत्ति संबंधी अपराध) पर लागू होता है।
Q2. यदि पहली सजा तीन साल से कम हो तो क्या Section 13 BNS लागू होगा?
नहीं, यह प्रावधान तभी लागू होगा जब पहली सजा तीन वर्ष या उससे अधिक की हो।
Q3. क्या Section 13 BNS के तहत आजीवन कारावास अनिवार्य है?
नहीं, न्यायालय अपनी विवेकाधिकार से आजीवन कारावास या 10 साल तक की कैद और साथ में जुर्माना दे सकता है।
Q4. यह प्रावधान IPC से कैसे अलग है?
IPC की धारा 75 सामान्य Habitual Offenders पर लागू थी, जबकि Section 13 BNS विशेष रूप से Chapter X और XVII पर केंद्रित है।
Q5. क्या इस धारा का उद्देश्य अपराधी का सुधार है या दंड?
इसका मुख्य उद्देश्य दंडात्मक और निवारक है, ताकि अपराध की पुनरावृत्ति न हो।
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