हाल में ही भारत सरकार ने कानूनों में बदलाव किया है। जोकि IPC Sections को बदल कर BNS बना दिया गया है। इसी तरह Section 323 IPC को बदल कर BNS Section 115 बना दिया गया है जो आज हम बताने वाले है इस Section 115 BNS में क्या क्या बदलाव किये गए है।
(1) जो कोई किसी को चोट पहुंचाने के इरादे से कोई कार्य करता है व्यक्ति, या इस ज्ञान के साथ कि उसके द्वारा किसी व्यक्ति को चोट पहुँचाने की संभावना है, और करता है इसके द्वारा किसी व्यक्ति को चोट पहुँचाना, “स्वेच्छा से चोट पहुँचाना” कहा जाता है
Section 115(1) BNS में स्वेच्छा से चोट पहुँचाने के अपराध को परिभाषित किया गया है। जिसमें बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुँचाने के इरादे (Intention) से कोई ऐसा कार्य करता है। यह जानते हुए की उसके द्वारा किए गए कार्य करने से सामने वाले व्यक्ति को चोट लग सकती है। ऐसे कार्य को स्वेच्छा से चोट पहुंचाने का अपराध माना जाता है, और उस व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
आसान भाषा में समजे तो मतलब कोई इंसान किसी दुसरे इंसान को कोई भी ऐसी चोट मरता है। या पहुँचता है तो चोट मरने वाले इंसान को Section 115 BNS के तहत FIR में ये Section लगता है उसकी उल्लेखना Section 115 (2) BNS मैं की गई है।
(2) जो कोई भी, Section 122 की उपधारा (1) द्वारा प्रदान किए गए मामले को छोड़कर, स्वेच्छा से चोट पहुंचाने पर किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो दस हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
स्वेच्छा से चोट पहुँचाना या गंभीर चोट पर उकसाना :- जो कोई गंभीर और अचानक उकसावे पर स्वेच्छा से चोट पहुँचाता है, यदि वह के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने का न तो इरादा रखता है और न ही जानता है उकसाने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जाएगा एक अवधि के लिए जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो पांच हजार तक बढ़ाया जा सकता है रुपये, या दोनों के साथ.
इस Section 115 BNS के तहत सजा 1 वर्ष की कैद या 10,000 रुपये का जुर्माना या दोनों है, इसके अलावा यह गैर-संज्ञेय, जमानती, किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा मुकदमा चलाया जा सकता है, जिस व्यक्ति को चोट पहुंचाई गई है, उसके लिए क्षतिपूर्ति है।
इस section 115 (2) BNS के तहत आप जमानत पा सकते है। जिसके लिए आप को किसी भी Magistrate के पास अपनी जमानत के लिए aaplication लगा सकते है।
इस अपराध को बीएनएस की धारा 115 के तहत गैर-संज्ञेय अपराध के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो इसे गंभीर आपराधिक श्रेणी से अलग करता है। इसके अलावा, इस अपराध के लिए जमानत की आवश्यकता होती है। (Bailable) भी होता है, जिसका मतलब है कि इस मामले में आरोपित व्यक्ति को जमानत आसानी से मिल जाती है।
Section 115 BNS में Sub-Section (2) दण्ड (Punishment) निर्धारित करती है। जिसमें बताया गया है कि, जो कोई भी व्यक्ति धारा 120 की उपधारा(1) में दिए अपराध को छोड़कर स्वेच्छा से चोट पहुँचाने के अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाता है। उस दोषी व्यक्ति को एक अवधि की कारावास (Imprisonment) जिसे एक वर्ष तक की सजा में बढ़ाया जा सकता है, की सजा से दंडित किया जाएगा। इसके साथ ही दोषी व्यक्ति को दस हजार रुपये तक के जुर्माने (Fine) से भी दंडित किया जा सकता है।
Section 411 IPC (Indian Penal Code) से बदल कर नया Section 317 BNS लाया गया…
आप जानते ही होगये की कुछ समय पहले ही भारत सरकार ने कुछ कानूनों मैं…
जैसा की आप सभी को ज्ञान होगा ही Indian Government ने हाल ही में कुछ…
AIBE 19 Result 2024; बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई), जो 22 दिसंबर, 2024 को भारत…
हम जानते ही है हाल ही मैं भारत सरकार ने कुछ कानूनों मैं बदलाव किया…
आज हम बताने वाले है Section 101 BNS के बारे में जोकि पहला Section 302…
This website uses cookies.
View Comments
What is 326 of IPC in BNS ?