Section 26 BNS Act not intended to cause death, done by consent in good faith for person’s benefit.

Section 26 BNS

Section 26 BNS भारतीय न्याय संहिता के अनुसार, कानूनी प्रावधान यह कहते हैं कि अगर कोई कार्य अच्छे विश्वास में और पीड़ित की सहमति से किया जाए, तो वह अपराध नहीं है। यह भले ही उस कार्य से मृत्यु हो सकती हो। यह सिद्धांत विशेष रूप से चिकित्सा प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण है। सर्जन या चिकित्सक अपनी पेशेवर जिम्मेदारी के तहत निर्णय लेते हैं। एक उदाहरण के रूप में, एक सर्जन एक जोखिम भरी सर्जरी कर सकता है। इसमें रोगी की मृत्यु होने की संभावना हो सकती है। लेकिन अगर वह अच्छे विश्वास में और रोगी की सहमति से करता है, तो वह अपराध नहीं है। मुख्य बातें Section 26 BNS का विस्तृत विश्लेषण Section 26 BNS के नियमों को समझने से हमें इसके कानूनी और सामाजिक प्रभावों को समझने में मदद मिलती है। यह धारा उन मामलों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जहां कार्यों के परिणामस्वरूप किसी प्रकार की हानि हो सकती है। Important For You :- Section 25 BNS Act not intended and not known to be likely to cause death or grievous hurt, done by consent. कानूनी प्रावधान का मूल सिद्धांत और उद्देश्य कानूनी प्रावधान का मूल सिद्धांत यह सुनिश्चित करना है कि कार्य अच्छे विश्वास में और पीड़ित की सहमति से किए जाएं। इसका उद्देश्य उन व्यक्तियों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करना है जो अच्छे विश्वास में कार्य कर रहे हैं। यह प्रावधान विशेष रूप से चिकित्सकीय संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जहां सर्जरी या अन्य चिकित्सकीय प्रक्रियाओं के दौरान रोगी की सहमति और सद्भावना का विशेष ध्यान रखा जाता है। सहमति का महत्व और प्रकार: स्पष्ट और निहित सहमति का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति अपनी इच्छा और जानकारी के साथ किसी कार्य के लिए सहमत हो। सहमति दो प्रकार की होती है: स्पष्ट और निहित। स्पष्ट सहमति वह है जो प्रत्यक्ष रूप से व्यक्त की जाती है, जबकि निहित सहमति परिस्थितियों से अनुमानित की जाती है। “सहमति का होना न केवल कानूनी रूप से आवश्यक है, बल्कि यह नैतिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।” सद्भावना का कानूनी अर्थ और आवश्यकता सद्भावना का कानूनी अर्थ है किसी कार्य को ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ करना। यह विशेष रूप से उन मामलों में आवश्यक है जहां किसी व्यक्ति के कार्यों का दूसरों पर प्रभाव पड़ सकता है। सद्भावना का होना यह सुनिश्चित करता है कि कार्य बिना किसी दुर्भावना के किए जा रहे हैं। इस प्रकार, Section 26 BNS  का विस्तृत विश्लेषण हमें इसके कानूनी प्रावधानों, सहमति के महत्व, और सद्भावना की आवश्यकता को समझने में मदद करता है। चिकित्सकीय केस स्टडी: जीवन बचाने वाली सर्जरी का उदाहरण A dimly lit hospital room, crisp … Read more

Section 25 BNS Act not intended and not known to be likely to cause death or grievous hurt, done by consent.

Section 25 BNS

Section 25 BNS : सहमति से किया गया ऐसा कार्य जिसका उद्देश्य मृत्यु या गंभीर चोट पहुँचाना न हो भारत के भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) में धारा 25 (Section 25 BNS) एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह प्रावधान उस स्थिति से संबंधित है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की सहमति … Read more

Section 24 BNS Offence requiring a particular intent or knowledge committed by one who is intoxicated.

Section 24 BNS

Section 24 BNS : विशेष आशय या ज्ञान की आवश्यकता वाले अपराध और नशा भारत के आपराधिक न्यायशास्त्र (Criminal Jurisprudence) में नशा (Intoxication) की स्थिति को लेकर विशेष प्रावधान बनाए गए हैं। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की Section 24 BNS इस विषय को नियंत्रित करती है और यह स्पष्ट करती है कि यदि कोई अपराध … Read more

Section 23 BNS Act of a person incapable of judgment by reason of intoxication caused against his will.

Section 23 BNS

प्रस्तावना भारतीय न्याय प्रणाली का मूल उद्देश्य अपराध और अपराधी के बीच अंतर को स्पष्ट करना तथा न्यायपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना है। दंड संहिता (BNS – Bharatiya Nyaya Sanhita) में कई प्रावधान ऐसे बनाए गए हैं, जो अपराध करते समय व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इन्हीं प्रावधानों में से एक है Section … Read more

Section 22 BNS — Act of a Person of Unsound Mind

Section 22 BNS

प्रस्तावना भारतीय दंड कानून (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) का मूल सिद्धांत है कि किसी भी व्यक्ति को दंडित तभी किया जा सकता है जब उसके पास अपराध करने का मानसिक तत्व (mens rea) मौजूद हो। यदि कोई व्यक्ति अपने कार्य की प्रकृति और उसके परिणाम को समझ ही नहीं पा रहा, तो उसके विरुद्ध … Read more

Section 21 BNS Act of a child above seven and under twelve years of age of immature understanding.

Section 21 BNS

प्रस्तावना भारतीय दंड संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) समाज में न्याय और व्यवस्था बनाए रखने का मूल आधार है। इसमें अपराध और दंड से संबंधित स्पष्ट प्रावधान दिए गए हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण प्रावधान Section 21 BNS है, जो बच्चों द्वारा किए गए कार्यों की दंडात्मक जिम्मेदारी को स्पष्ट करता है।यह धारा यह … Read more

Section 2 BNS Definitions

Section 2 BNS

Section 2 BNS – परिभाषाएँ (Definitions) भारत के आपराधिक विधि (Criminal Law) में परिभाषाओं (Definitions) का विशेष महत्व है। Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 (BNS) की धारा 2 ( Section 2 BNS ) उन सभी आवश्यक कानूनी शब्दों को स्पष्ट करती है, जिनका प्रयोग इस संहिता में किया गया है। किसी भी कानून की व्याख्या करते … Read more

Section 20 BNS Act of a childunder sevenyears of age.

Section 20 BNS

परिचय : Section 20 BNS की भूमिका भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह ली है। इसमें अपराध और दंड से जुड़े प्रावधानों को आधुनिक समय की आवश्यकताओं के अनुसार पुनर्लिखित किया गया है। Section 20 BNS एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो बच्चों से संबंधित अपराध की जिम्मेदारी को परिभाषित … Read more

Section 19 BNS Act likely to cause harm, but done without criminal intent, and to prevent other harm.

Section 19 BNS

परिचय of Section 19 BNS भारतीय दंड संहिता (अब भारतीय न्याय संहिता – BNS) में अपराध के दायरे और उनकी व्याख्या को स्पष्ट करने के लिए कई विशेष प्रावधान दिए गए हैं। Section 19 BNS का महत्व इस दृष्टि से अत्यधिक है कि यह उन परिस्थितियों पर प्रकाश डालती है जहाँ किसी व्यक्ति का किया … Read more

Section 18 BNS Accident in doing a lawful act.

Section 18 BNS

परिचय of Section 18 BNS Section 18 BNS — जिसका मूल प्रावधान भारत के प्रचलित आपराधिक कानून में पूर्व में धारा 80 (IPC) के रूप में मिलता था — इस सिद्धांत का संक्षेप है कि हर अनपेक्षित हानिकारक परिणाम अपराध नहीं बनता यदि कृत्य वैध था, वैध तरीके से किया गया हो, और कर्ता ने … Read more